मिर्जापुर के कालीन भैया की किसी बात पर हंस पड़ी पत्नी, कपल ने कुछ इस तरह सेलिब्रेट की दिवाली

मुंबई। इन दिनों फिल्म मिर्जापुर (Mirzapur) का सेकंड पार्ट काफी पॉपुलर हो रहा है। फिल्म में कालीन भैया (Kaleen Bhaiya) का किरदार निभाने वाले एक्टर पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) ने पत्नी के साथ दिवाली का त्योहार सेलिब्रेट किया। इस दौरान कपल ने लक्ष्मी पूजन किया। दिवाली से जुड़ी पंकज त्रिपाठी की एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें एक्टर भगवान के सामने हाथ जोड़े नजर आ रहा है, जबकि उनकी किसी बात पर पत्नी खिलखिलाकर हंस रही हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2020 9:35 AM IST / Updated: Nov 15 2020, 03:09 PM IST

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मिर्जापुर के कालीन भैया की किसी बात पर हंस पड़ी पत्नी, कपल ने कुछ इस तरह सेलिब्रेट की दिवाली

सोशल मीडिया पर कपल की तस्वीर देख लोग जमकर कमेंट कर रहे हैं। एक शख्स ने लिखा- वाह! क्या जोड़ी है। वहीं कुछ लोग फिल्म कालीन भैया को फिल्म के डायलॉग से जोड़कर भी बधाई दे रहे हैं। बता दें कि पंकज त्रिपाठी की शादी 2004 में मृदुला के साथ हुई। उनकी एक बेटी है। 

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पंकज त्रिपाठी कुछ दिनों पहले कपिल शर्मा के शो में पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के कुछ किस्से शेयर किए थे। उनकी शादी एनएसडी पास करने से पहले ही हो गई थी। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी को अपने साथ ब्वॉयज हॉस्टल के कमरे ही चोरी-छुपे रखा हुआ था। 

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पंकज ने ये भी बताया था कि हॉस्टल में लड़कियों को आने की सख्त मनाही थी। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पत्नी को सबकी नजरों से बचा कर अपने कमरे में छुपाके रखा था। ब्वॉयज हॉस्टल में लड़के अक्सर फ्री होकर घूमते हैं कम कपड़े पहनते हैं। लेकिन जब लड़कों को पता चला कि उनकी पत्नी भी उनके साथ रह रही थीं तो उन सभी ने काफी सपोर्ट किया। हालांकि कुछ वक्त के बाद वार्डन को इस बारे में पता चल गया था।
 

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पंकज त्रिपाठी का जन्म बिहार में गोपालगंज जिले के बेलसांद गांव में हुआ था। बताते हैं कि उन्होंने शुरुआती पढ़ाई पेड़ के नीचे ही की थी। हर साल गांव में होने वाली छठ पूजा नाटक में वह हिस्सा भी लिया करते थे। यहां अक्सर उन्हें लड़की का रोल मिलता था।
 

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10वीं क्लास तक यहां पढ़ने के बाद पिता ने उनको पटना भेज दिया था। वो साल भर केवल दाल चावल या खिचड़ी ही खाते थे। एक कमरे में रहते थे, जिसके ऊपर टीन शेड था। उन्होंने यहीं से 12वीं पास की और घरवालों, मित्रों के कहने पर होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने लगे। 

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पंकज त्रिपाठी ने एक इंटरव्यू में बताया कि कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब बीवी का जन्मदिन था और उनकी जेब में केवल 10 रुपए ही बचे थे। क्या गिफ्ट देते और कैसे केक लाते? हालांकि उनकी पत्नी मृदुला बीएड कोर्स कर चुकी थीं, इसलिए उन्हें एक स्कूल में टीचर की जॉब मिल गई। इसके बाद दोनों ने तय कर लिया था वापस नहीं लौटना है, फिर उन्हें छोटे-छोटे रोल मिलने लगे थे और न सिर्फ खुद का आशियाना बनाया, बल्कि आज स्टार भी बन गए। 

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पंकज त्रिपाठी ने फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में 'सुल्तान' का किरदार निभाया था। एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने बताया कि फिल्म के लिए सुल्तान के किरदार का ऑडिशन तकरीबन 8 से 9 घंटे तक चला था। इस ऑडिशन में उन्होंने 10 से 12 सीन किए थे। उनके द्वारा किए गए सभी सीन्स को फिल्म में शामिल किया गया था। पंकज ने बताया कि इस फिल्म का ऑडिशन देने के दौरान वह बीमार थे और उन्होंने पैरासिटामोल खाकर ऑडिशन दिया था।

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पंकज त्रिपाठी का मानना है कि उन्होंने तकरीबन 22 साल थिएटर और रंगमंच को दिए हैं, जिसके बाद उन्हें किरदार की नब्ज पकड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगता है। कुछ दिनों पहले पंकज ने एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने अपने स्ट्रगलिंग के दिनों का किस्सा सुनाते हुए कहा था कि वो अपनी पत्नी के साथ मुंबई आ चुके थे और उन्होंने बॉलीवुड में संघर्ष करना शुरू कर दिया था। 

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पंकज के मुताबिक, उस दौरान कास्टिंग डायरेक्टर्स नहीं होते थे और एक्टर्स को कास्ट करने के लिए प्रोफेशनल माहौल नहीं होता था। ऐसे में उन्हें असिस्टेंट डायरेक्टर्स और ऐसे ही फिल्म की यूनिट से जुड़े लोगों पर निर्भर रहना पड़ता था।

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पकंज ने आगे कहा कि उस दौर में ना तो उनके पास काम था और ना ही उनकी पत्नी के पास जॉब थी। तो ऐसे में उन्होंने बिना समय गंवाए ऑडिशन्स के लिए जाना शुरू कर दिया था और उनकी पत्नी भी वेकेंसी ना होने के बावजूद स्कूलों में नौकरी तलाशने जाया करती थी।

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चूंकि तमाम एक्टर्स प्रोडक्शन हाउस आते रहते थे तो यहां जाना आसान नहीं था और पंकज ने इन प्रोडक्शन हाउस में कहना शुरू कर दिया था कि उन्हें ईश्वर जी ने भेजा है, जिसके बाद उनकी एंट्री हो जाया करती थी। पंकज ने बताया कि जब वो अंदर जाते थे और उनसे पूछा जाता था कि ये ईश्वर जी कौन हैं? तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता था और वो ऊपर की तरफ उंगली उठा देते थे।

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कई लोग पकंज के सेंस ऑफ ह्यूमर से इंप्रेस हो जाते थे तो कई ऐसे भी थे जो फ्रस्ट्रेट हो जाते थे। हालांकि उन्होंने यही सीखा है कि इंसान को लगातार कोशिश करते रहना चाहिए जिसके बाद वो एक ना एक दिन अपने प्रयासों में जरूर सफल हो जाता है।
 

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