कश्मीर में लड़की को भीड़ ने बुरी तरह से पीटा, कपड़े फाड़ दिए..जानें क्या है इस वायरल मैसेज का सच?

नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर कई काम की खबरें मिल जाती हैं, लेकिन कई बार इस प्लेटफॉर्म पर ऐसी तस्वीर या खबर मिलती है जो फेक (Fake News) होती है। इस फेक न्यूज का प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि लोग इसे सच मानकर तेजी से वायरल करते हैं। इन दिनों ऐसी ही एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। वायरल तस्वीर एक लड़की (girl in Kashmir) की है। कुछ लोग लड़की के साथ मारपीट कर रहे हैं। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि कश्मीर में मुसलमानों के साथ अत्याचार हो रहा है। हेल्प कश्मीर और फ्री कश्मीर जैसे हैजटैग इस्तेमाल किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर तस्वीर को हजार से ज्यादा बार शेयर किया गया है। यूजर्स ने इसपर कई तरह के कमेंट्स किए हैं। लेकिन वायरल तस्वीर का सच कुछ और ही है। जानें क्या है वायरल तस्वीर के पीछे का सच..?

Asianet News Hindi | Published : Oct 13, 2021 9:29 AM IST
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कश्मीर में लड़की को भीड़ ने बुरी तरह से पीटा, कपड़े फाड़ दिए..जानें क्या है इस वायरल मैसेज का सच?

वायरल तस्वीर के साथ क्या है मैसेज?
वायरल तस्वीर के साथ लिखा है, भारतीय कब्जे वाले #Kashmir #boycottindia में नरसंहार। तस्वीर को #help_Kashmir #save_kashmir #free_kashmir जैसे हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है। 

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वायरल तस्वीर का सच क्या है?
वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पता चला कि ये फरवरी 2017 की है। तस्वीर को दिल्ली के रामजस कॉलेज में एबीवीपी और आइसा के स्टूडेंट एक्टिविस्ट के बीच झड़प के दौरान ली गई थी।

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सच का पता कैसे चला?
वायरल तस्वीर के सच का पता लगाने के लिए गूगल के रिवर्स इमेज टूल का इस्तेमाल किया गया। तब हमें कुछ तस्वीरों के लिंक मिले, जिसके मुताबिक, यह तस्वीर 22 फरवरी 2017 को ली गई थी। तब रामजस कॉलेज में दो छात्र संगठनों के बीच हिंसा हुई थी। तस्वीर को हिंदुस्तान टाइम्स के क्लिक किया था। 

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रामजस कॉलेज में कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट नाम का एक कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और शेहला राशिद को बलाया गया था। बाद में एबीवीपी के विरोध के बाद सम्मेलन को रद्द कर दिया गया था। एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि प्रदर्शनकारियों ने देश विरोधी नारे लगाए थे।

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अगले दिन एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने रामजस के छात्रों पर हमला किया। इसी दौरान दोनों गुटों के बीच झड़प हुई थी। साल 2017 में इस वायरल तस्वीर का इस्तेमाल सीएनएन और डेली मेल जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने किया था। 

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निष्कर्ष
वायरल तस्वीर की पड़ताल करने पर पता चला कि इस तस्वीर का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है। तस्वीर साल 2017 की दिल्ली यूनिवर्सिटी की है। पांच साल पुरानी इस तस्वीर को दिल्ली के रामजस कॉलेज में क्लिक किया गया था। 

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