किस्मत हो तो ऐसी: कभी इस बेटी ने बस में काटी टिकट, अब दुल्‍हन बन हेलिकॉप्‍टर में हुई विदा...


सिरसा (हरियाणा). हर लड़की चाहती है कि शादी के बाद जब वो अपने पिता के घर से विदा होकर ससुराल जाए तो वहां उसकी जिंदगी खुशहाल हो। उसका जीवन साथ हमेशा उसे वहां खुश रखे। लेकिन हरियाणा में एक ऐसी अनोखी शादी देखने को मिली जहां दु्ल्हन बनी एक बेटी को उसका सपनों का राजकुमार आया और हेलिकॉप्टर में बिठाकर ले गया। लड़की ने कभी नहीं सोचा था कि वह जो खुद बसों में कंडक्टर बन टिकिट काटती है एक दिन दुल्हन बनकर हेलिकॉप्टर से विदा होगी। पढ़िए होनहार बेटी की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2020 12:21 PM IST

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किस्मत हो तो ऐसी: कभी इस बेटी ने बस में काटी टिकट, अब दुल्‍हन बन हेलिकॉप्‍टर में हुई विदा...


दरअसल, यह अनोखी शादी सिरसा में हुई है, जिसकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। किस्मत की धनी और दुल्हन बनी इस लड़की का नाम शैफाली है, जो राज्य की ऐसी पहली महिला है जो बस परिचालक बनी है। वह हरियाणा रोडवेज बसों में टिकट काटती नजर आ चुकी है। जिसके चलते वो पहले भी सुर्खियों में रही है।
 

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बता दें कि पवन मांडा की बेटी शैफाली की शादी कैरांवाली गांव के सचिन सहारण के साथ हुई है। शैफाली के पति सचिन पीएनबी में फील्ड ऑफिसर है। उनकी ससुराल सिरसा से करीब 25 किलोमीटर दूर है। सोमवार दोपहर एक बजे हेलीकाप्टर ग्लोबल स्पेस के मैदान में उतरा और सवा दो बजे दूल्हा उसको उड़ाकर ले गया।  जब वह विदा होकर अपने ससुराल जाने लगीं तो दुल्‍हन और दूल्‍हे को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया। वह करीब 15 मिनट बाद अपने ससुराल पहुंच गई।

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जब शैफाली बस में कंडक्‍टर की भूमिका में नजर आईं तो लोगों ने उनके इस काम की काफी सराहना की। अक्सर लोग उसको इस साधारण वेशभूषा में देखकर कहते थे कि देश की कुछ बेटियां ऐसी हैं जिन्होंने ऐसे करियर को चुना और साबित कर दिखाया कि वह पुरुषों से कम नहीं हैं।
 

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वर्तमान में शैफाली पढ़ाई में एमए पीएचडी कर रही हैं। इससे पहले शैफाली ने करीब दो साल पहले रोडवेज कर्मचारियों की 2018 में हड़ताल के दौरान रोडवेज में महिला परिचालक के तौर पर ज्वाइन किया था परंतु कुछ दिनों बाद हड़ताल खत्म हो गई, जिसके चलते वो दोबारा पढ़ाई करने लगी। 

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आप सोच सकते हैं कि बसों में कैसे-कैसे लोग सफर करते हैं। अक्सर रोडवेज बसों में सवारियों की भारी भरमार रहती है। कई बार तो कंडक्टर को सावरियों का टिकट काटना भी श्किल हो जाता है। लेकिन इन सबके बावजूद भी शैफाली ने कभी हिम्मत नहीं हारी और पूरे जज्बे और ईमानदारी के साथ यह काम किया। इसलिए आज हर कोई शैफाली की तारीफ करते नहीं थकता है।

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