Leech Therapy:शरीर पर मोटे-मोटे जोंक को रख खून चुसवाते है लोग, हजारों बीमारियों का इलाज ये इस थेरिपी में, जाने

Published : Nov 26, 2021, 11:21 AM IST

हेल्थ डेस्क : 21वीं सदी में मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है। किसी भी बीमारी का इलाज अब आसानी से किया जा सकता है, लेकिन आज भी कई लोग प्राचीन तरीकों से इलाज कराना पसंद करते हैं, क्योंकि ना सिर्फ ये कारगर होते हैं, बल्कि इनके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं। उन्हीं में से एक है जोंक थेरेपी (jonk therapy)। जो दिखने में तो बहुत भयानक लगती है, क्योंकि इसमें अपने शरीर के ऊपर मोटे मोटे जोंकों को रखवा कर खून चुसवाया जाता है। लेकिन यह थेरेपी कई सारी बीमारियों का इलाज करती है। अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि जोंक थेरेपी होती क्या है? क्या इसके कीड़े जहरीले होते हैं और इस थेरेपी की प्रोसेस क्या होती है? तो चलिए आज हम आपके सारे सवालों के जवाब देते हैं और आपको बताते हैं जोंक या लीच थेरेपी (Leech Therapy) के बारे में...

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Leech Therapy:शरीर पर मोटे-मोटे जोंक को रख खून चुसवाते है लोग, हजारों बीमारियों का इलाज ये इस थेरिपी में, जाने

मेडिसिनल लीच थेरेपी (MLT) या हीरुडोथेरपी (hirudotherapy) खून चूसने वाली जोंक कीड़ें की मदद से किया जाने वाला उपचार है। भारत में प्राचीन काल से ही इस थेरेपी से इलाज किया जाता है। इस थेरेपी से खून से जुड़ी समस्याओं से निजात मिलता है और ब्लड को प्यूरिफाई होता है।

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लीच थेरेपी में स्पेशल किस्म की जोंक का प्रयोग किया जाता है, जिसमें छोटे-छोटे दांतों वाले तीन जबड़े होते हैं। वे हमारी त्वचा को काटते हैं और उसमें अपनी लार के साथ एंटीकोग्युलैंट्स डाल देते हैं। 

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जोंक थेरेपी में डॉक्टर जलोका या जोंक नामक कीड़े को शरीर के किसी एक भाग पर छोड़ते है। इसके बाद यह त्‍वचा को काट कर खून चूसना शुरू कर देती है। इसे 20 से 45 मिनट शरीर में खून चूसने के लिए छोड़ दिया जाता है। जब शरीर से खून चूसने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो इन्‍हें तम्‍बाकू की मदद से शरीर से हटा दिया जाता है। 

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जोंक थेरेपी के एक आसान और कम खर्चीला उपचार है, जिसके चलते अब इस विधि से कई सारे लोग इलाज करवाते हैं। इसकी हर सिटिंग का चार्ज 300-500 रुपये की बीच होता है। लड़कियां खूबसूरत दिखने के लिए ये उपचार बहुत करवाती हैं। हालांकि, 18 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को यह उपचार नहीं करवाना चाहिए।

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डॉक्टर्स का कहना है कि यह एक बहुत ही इफेक्टिव थेरेपी है। इसमें जोंक खून चूसने के दौरान खून में हीरूडीन नामक रसायन को मिला देती है। यह रसायन जोंक की लार में पाया जाता है। हीरूडीन खून को जमने नहीं देता। इन रसायनों की वजह से घाव भी बहुत तेजी से भरता है।
 

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जोंक थेरेपी का इस्तेमाल खून की अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इससे पिंपल्स, एक्ज़िम, सोरायसिस, हर्पिस, बालो का झड़ना या गंजापन आदि को दूर किया जा सकता है। 

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इतना ही नहीं ये गैंगरीन से ग्रसित अंगों में ब्लड सर्कुलेशन शुरू कर देता है। इससे शरीर के अंदर के अंगों में आने वाली सूजन में आराम मिलता है। यह थेरेपी खून के थक्के जमने और वेरिकोस वेंस की समस्या में भी उपयोग की जाती है।

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जोंक थेरेपी करवाने से पहले सुनिश्चित करें कि, आपका डॉक्टर प्रोफेशनली ट्रेन्ड हो। यह थेरेपी एक उचित वातावरण में की जाए, नहीं, तो बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। थेरेपी लेने से पहले ये जरूर पता करें कि आपको जोंक की लार से एलर्जी ना हो। वहीं, जिन लोगों को डायबिटीज है वो इस थेरेपी को डॉक्टर से पूछ कर ही करवाएं, क्योंकि जोंक के अंगो के कटाने की वजह से जो जख्म होते है, वह कई बार डायबिटीज के मरीजों में जल्दी भर नहीं पाते हैं। 

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