National Cancer Awareness Day: ना शरीर में थी जान-ना सिर पर थे बाल, ऐसे कैंसर को मात देकर मिसाल बना ये खिलाड़ी

हेल्थ डेस्क : भारत में हर साल 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है, ताकि इस जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए जागरूकता फैलाई जा सके। इस दिन की शुरुआत सितंबर 2014 में डॉ. हर्षवर्धन ने की थी, जो उस समय स्वास्थ्य मंत्री थे। कैंसर अवेयरनेस की तारीख 7 नवंबर इसलिए चुनी गई, क्योंकि यह फेमस वैज्ञानिक मैडम क्यूरी की जयंती है, जिन्हें कैंसर के खिलाफ लड़ाई में उनके प्रयासों और योगदान के लिए याद किया जाता है। WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। लेकिन कई ऐसे लोग भी है, जिन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात देकर मिसाल कयाम की। उन्हीं में से एक है भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह (Yuvraj Singh), आइए आज हम आपको बताते हैं, उनके संघर्ष की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Nov 7, 2021 4:11 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:25 PM IST

19
National Cancer Awareness Day: ना शरीर में थी जान-ना सिर पर थे बाल, ऐसे कैंसर को मात देकर मिसाल बना ये खिलाड़ी

जब हम कभी भी कैंसर शब्द सुनते हैं, तो बुरी तरह डर जाते हैं। ये जानलेवा बीमारी ना जाने कितने लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है। वहीं, कुछ लोग इस गंभीर बीमारी को मात देकर लोगों के लिए प्रेरणा भी बने हैं। 

29

2 अप्रैल 2011 का दिन हर इंसान को याद है, क्योंकि इस दिन भारत ने वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था।  इधर, भारत मैच के साथ वर्ल्ड कप जीता, उधर युवराज ने दर्द भरी चीख निकाली और उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता लगा।

39

युवराज सिंह वर्ल्डकप 2011 के पहले से ही कैंसर के दर्द को झेले रहे थे। मैदान पर थूके गए खून की और जिंदगी और मौत की जंग की शुरुआत वर्ल्डकप के बाद शुरू हुई।

49

युवी को 2011 की शुरुआत से कैंसर के गंभीर लक्षण दिखने शुरू हो गए थे। जिसमें सांस फूलना, मुंह से खून आना और स्टेमिना में कमी होना। लेकिन, वह नहीं चाहते थे, कि वह वर्ल्ड कप से बाहर हों, क्योंकि पूरे भारत को उनसे उम्मीदें थी। ऐसे में उन्होंने हार नहीं मानी और 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप में बॉल और बैट दोनों से धमाल मचाया और मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया।

59

एक इंटव्यू के दौरान युवराज ने बताया था कि 'जब पहली बार मुझे बताया गया कि मुझे कैंसर है तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मैंने सोचा कि आखिर मेरे जैसे युवा व्यक्ति को कैंसर कैसे हो सकता है। मैंने सोचा कि मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हो सकता। मुझे यह महसूस करने में कुछ वक्त लगा कि मुझे कैंसर है।'

69

उन्होंने कहा था कि, कीमोथेरिपी के आखिरी दौर में वह बस ये प्रार्थना करते थे कि, 'हे ईश्वर मुझे जल्द इससे मुक्ति दें।' युवी बताते हैं, कि जब कोई उन्हें देख या सुन नहीं रहा होता था, तो वह किसी बच्चे की तरह रोते थे।  

79

इस दौरान युवराज सिंह को कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं से लड़ना पड़ा। लेकिन, युवराज सिंह ने 1 साल में ना केवल कैंसर जैसी बीमारी को मात दी, बल्कि अमेरिका में इलाज कराने के बाद उन्होंने मैदान में धमाकेदार वापसी की। युवी ने 2019 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपनी वापसी के संकेत दिए है।

89

कैंसर से लड़ने के बाद युवराज सिंह ने एक किताब 'द टेस्ट ऑफ माइ लाइफ' भी लिखी। जिसमें उन्होंने कैंसर से अपने संघर्ष की दास्तान को सबके सामने रखा। इस किताब में उन्होंने बताया है कि कैंसर के कारण उनकी जिंदगी में क्या-क्या बदलाव हुए।

99

साल 2013 में कैंसर डे के दिन युवराज अपनी जंग को याद करते हुए रो पड़े थे। कैंसर पीड़ितों का मदद के लिए इस खिलाड़ी ने YouWeCan नाम से चैरिटी भी शुरू की है, जो कैंसर से पीड़ित लोगों की मदद करने और लोगों के बीच कैंसर की जागरुकता फैलाने का काम करती है।

ये भी पढे़ं- हड्डियों में हो गया था छेद, लंबाई तक होने लगी कम, बेटी ने बताया मां को हुए Cancer की खतरनाक कहानी

Dengue Cases Rise: कोरोना के साथ आया एक और खतरा, इस तरह करें इससे बचाव

Read more Photos on
Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos