पिता को बचाने बेटे ने तपती दुपहरी में शुरू की दंडवत पर‍िक्रमा, डॉक्टर कह चुके-अब भगवान ही बचा सकते


ग्लालियर (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप चरम पर है। यह संक्रमण लाखों लोगों को मौत की नींद सुला चुका है। कुछ ऐसे भी मरीज हैं जो अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी ठीक नहीं हो पा रहे हैं। उनके परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। लेकिन कहत हैं ना जहां दवा असर कम पड़ जाता है वहां दुआ का काम आती है। ऐसी एक मार्मिक काहनी मध्य प्रदेश के ग्वाल‍ियर से सामने आई है, जिसे जानकर हर किसी की आंखों में आसूं आ गए। जहां एक बेटा अपने संक्रमित पिता की जिदंगी बचाने के लिए हॉस्पिटल से अचलेश्वर महादेव तक 3 द‍िन से दंडवत पर‍िक्रमा लगा रहा है। डॉक्टरों के हाथ खड़े कर देने के बाद उसे भगवान पर ही भरोसा है।

Asianet News Hindi | Published : May 15, 2021 8:13 AM IST / Updated: May 15 2021, 01:53 PM IST
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पिता को बचाने बेटे ने तपती दुपहरी में शुरू की दंडवत पर‍िक्रमा, डॉक्टर कह चुके-अब भगवान ही बचा सकते

दरअसल, भिंड के हार्डवेयर व्यापारी रामकुमार (51) शर्मा संक्रमित होने के बाद ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में पिछले 15 दिन से भर्ती हैं। उनके फेफड़े 75 फीसदी संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना ने उनको बुरी तरह से जकड़कर रखा हुआ है। डॉक्टरों की तमाम कोशिश करने के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं है। पिता के इलाज पर उनका बेटा शिवम दिन-रात मेहनत कर रहा है। 
 

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मरीज के शुरीर में संक्रमण पूरी तरह से फैल चुका है। उनके फेफड़ों ने काम करना भी बंद कर दिया है। डॉक्टर वेंटिलेटर से ऑक्सीजन दे रहे हैं, कोई सुधार होता नहीं देखकर डॉक्टरों ने भी अब हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने मरीज बेटे से कहा कि हमे नहीं लगता अब तुम्हारे पिता ठीक होंगे भी या नहीं। क्योंकि उनपर किसी भी दवा का कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में तो अब तुम्हारे पापा को इस महामारी से भगवान ही बचा सकते हैं।

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शिभम अपने पिता को ठीक करने के लिए लाखों रुपए का खर्च कर चुका है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत होने के बाद महंगे दामों में खरीदकर लेकर आया।  हॉस्पिटल की तरफ से जितना पैसा मांगा गया उतना बेटे ने बिना कुछ कहे जमा कर दिया। दिन रात मेहनत करके ऑक्सीजन सिलेंडर जुगाड़े, तनमन और धन खर्च करने के बाद भी पिता की सेहत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।  

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डॉक्टरों के हाथ खड़े कर देने के बाद शिवम कुछ समय के लिए पूरी तरह से टूट गया। लेकिन उसे डॉक्टरों को कही वह बात याद आ गई कि 'अब तम्हारे पिता को भगवान ही बचा सकते हैं''। फिर क्या था शिवम अपने ने एक रिश्तेदार के साथ ग्वालियर के प्रसिद्ध अचलेश्वर महादेव मंदिर की दंडवत परिक्रमा शुरू कर दी। जो कि हॉस्पिटल से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है। अब उसको भगवान शिव का ही सहारा है।

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शिवम ने कहा कि जब सब डॉक्टर हाथ खड़े कर देते हैं तो एक ही डॉक्टर बचता है, वह है भगवान।अब मुझे अचलेश्वर महादेव ही भरोसा है, वह ही मेरे पिता ठीक करेंगे।यह अचलनाथ, हैं, सबकी बिगड़ी बनाते हैं मुझे ही भी इन्हीं से आखिरी आस है। सबकुछ बाबा भोलेनाथ के हाथ में है।

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यही वह ग्वालियर का प्रसिद्ध अचलेश्वर महादेव मंदिर है, जहां बेटे शिवम ने अपने संक्रमित पिता  के स्वास्थ्य की कामना को लेकर दंडवत परिक्रमा शरू की है।

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