एक बार जो कमिटमेंट कर दिया, फिर अपने आपकी भी नहीं सुनते ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए क्यों...
भोपाल. मध्य प्रदेश की राजनीति में 'सियासी गदर' लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में कहा जाता है कि एक बार वो जो ठान लेते हैं, फिर पीछे नहीं हटते। लंबे समय से कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से दु:खी ज्योतिरादित्य सिंधिया शायद 'हवाओं के रुख' का इंतजार कर रहे थे। राज्यसभा इलेक्शन के ठीक पहले उन्होंने अपनी ही सरकार की नींव हिला डाली। ज्योतिरादित्य सिर्फ राजनीति नहीं, अपने व्यक्तिगत मामलों में भी एक बार जो कमिटमेंट कर देते हैं, फिर किसी की नहीं सुनते। यह सलमान खान की फिल्म 'वांटेड' की तरह कोई डायलॉग नहीं है, बल्कि हकीकत है। अपनी लव स्टोरी के दौरान भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रियदर्शिनी से कमिटमेंट किया था। उन्होंने प्रियदर्शिनी को अपनी फैमिली से मिलवाया था, लेकिन इससे पहले ही वे शादी करने का कमिटमेंट कर चुके थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियदर्शिनी की पहली मुलाकात दिसंबर 1991 को हुई थी। तब सिंधिया अपना ग्रेजुएशन करके यूएस से लौटे थे। उनकी मुलाकात दिल्ली में प्रियदर्शनी से हुई थी। बेशक इनकी अरेंज मैरिज है, लेकिन वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे। एक इंटरव्यू में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि पहली ही मुलाकात में उन्होंने कमिटमेंट कर दिया था कि वे प्रियदर्शिनी से ही शादी करेंगे।
करीब 3 साल बाद दिसंबर 1994 में ज्योतिरादित्य और प्रियदर्शिनी की शादी हुई थी। बता दें कि ज्योतिरादित्य का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था। जब वे 19 के थे, तब ग्रेजुएशन करने अमेरिका चले गए थे। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है।
ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे गुजरात के बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने की बेटी हैं।इनकी मां नेपाल के राजघराने से ताल्लुक रखती हैं।
फेमिना ने 2012 में देश की 50 सबसे खूबसूरत महिलाओं में प्रियदर्शिनी को शामिल किया था। इसके अलावा 2008 में उन्हें बेस्ट ड्रेस्ड हॉल ऑफ फेम लिस्ट में भी जह मिली थी।
ज्योतिरादित्य और प्रियदर्शिनी के हैं दो बच्चे हैं। बेटा महानआर्यमन और बेटी अनन्या है। सिंधिया परिवार के पास ग्वालियर के भव्य जयविलास पैलेस के अलावा देशभर में 40000 करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी है।
वर्ष, 2001 में माधवराव सिंधिया की मैनपुरी(यूपी) में एक हवाई जहाज दुर्घटना में मौत हो गई थी। इसके एक साल बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में उतरे। वे 2002 से लेकर 14 तक लगातार 4 बाद सांसद रहे। हालांकि 2019 के इलेक्शन में उन्हें अपने ही चेले केपी यादव से हार का सामना करना पड़ा था।