पूछताछ के दौरान उन्होंने बताया कि वह इन कारों को मालिकों से टैक्सी के रूप में चलाने के लिए किराए पर लेते थे। जिसके बदले हम उनको 20 से 25 हजार रुपए देते थे। फिर एक दो माह बाद उनके फर्जी कागज बनाकर इन्हें अलग-अलग शहरों में गिरवी रख देते और पैसा लेकर भाग जाते। आरोपियों ने बताया कि इस दौरान उन्होंने धार, सीहोर, खरगोन, देवास समेत कई जिलों में इस तरीके से ठगी की है।