कौन है दिहाड़ी मजदूर का बेटा प्रवीण जाधव, जिसके संघर्ष के मुरीद PM मोदी..जो ओलिंपिक में जा रहा टोक्यो

मुंबई (महाराष्ट्र). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो पर मन की बात में देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने जापान की राजधानी में टोक्यों में होने जा रहे ओलिंपिक खेलों के लिए भारतीय खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए तारीफ की। इस बाचचीत में प्रधानमंत्री देश के कुछ खिलाड़ियों का जिक्र किया, जिसमें एक नाम प्रवीण जाधव भी शामिल था। उन्होंने प्रवीण जिंदगी के संघर्षों को बताते हुए कहा कि आप अगर इस खिलाड़ी की जिंदगी के बार में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे और उनकी इस मेहनत और लगन को सलाम करेंगे। आइए जानते हैं कौन हैं तीरंदाजी में टोक्यो जाने वाले प्रवीण जाधव...

Asianet News Hindi | Published : Jun 27, 2021 12:44 PM IST / Updated: Jun 27 2021, 06:21 PM IST

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कौन है दिहाड़ी मजदूर का बेटा प्रवीण जाधव, जिसके संघर्ष के मुरीद PM मोदी..जो ओलिंपिक में जा रहा टोक्यो

दरअसल, प्रवीण जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहने वाले हैं। जिनका आधा जीवन सार्दे गाव में नाले के किनारे बनी झुग्गियों में बीत गया। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। लेकिन उन्होंने अपने लक्षय के आगे कभी भी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोया। मेहनत और जज्बे की दम पर वह कर दिखाया, जिसका सपना भारत का हर खिलाड़ी देखता है।

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 प्रवीण 8 साल की उम्र में से ही एथलेटिक्स में रूचि रखने लगा था। लेकिन परिवार की आर्थिक स्तिथि ऐसी नहीं थी कि वो किसी खेल एकडमी में ट्रेनिंग ले पाता। फिर भी प्रवीण ने हिम्मत नहीं हारी और अपने गांव में लकड़ी के बने तीर-कमान से निशान लगाने का अभ्यास करते रहे। आज इसी लकड़ी के धनुष की दम पर प्रवीण तीरंदाजी में भारत की तरफ से ओलंपिक जाएंगे।

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बता दें कि जाधव के पिता रमेश दिहाड़ी करके परिवार का पेट पालते हैं। कभी-कभी ऐसा भी वक्त आया कि उनके परिवार को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब होता था। बस इसी गरीबी से परेशान होकर ही प्रवीण ने खेल जगत जाकर अपनी किस्मत बदलने का फैसला लिया।

 

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 प्रवीण जाधव ने कभी अपने जिले और ज्यादा  से ज्यादा राज्य के बाहर कदम नहीं रखा था। लेकिन इसी प्रवीण जाधव ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक जीतने के साथ साल टोक्यो में होने वाले ओलंपिक गेम्स के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया है।

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बताया जाता है कि प्रवीण को एथलेटिक्स में जाने की सलाह उन्हें अपने जिला परिषद स्कूल के टीचर बबन भुजबल दी थी। जिसके बाद उनको  कई खेल आयोजनों में भाग लेने का मौका मिला। जिसमें वह एक बार जिला स्तर पर 800 मीटर दौड़ में पहले नंबर पर आए थे। इसके बाद टीचर की सलाह और सरकारी योजान के जरिए वह कुछ समय बाद अमरावती चले गए थे, जहां उन्होंने तीरंदाजी सीखनी और उससे खेलना शुरू किया।

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प्रवीण ने देश में आयोजित तीरंदाजी प्रतियोग्यता में कई मेडल जीते, इसके बाद 2016 में बैंकॉक में एशिया कप प्रतियोग्यता में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, प्रवीण ने मेंस रिकर्व टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इसके बाद  साल 2017 में जाधव ने आर्मी को ज्वाइन कर लिया जिससे उन्हें ओलंपिक गोल्ड कोस्ट से मदद मिलने लगी। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने 22 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम कर लिया। फिर जाधव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब वह देश के लिए टोक्यो ओलंपिक में भी हिस्सा लेने वाले हैं।
 

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ओलिंपिक के लिए जा रही इस भारतीय आर्चरी टीम में अतनुदास, प्रवीण और तरुणदीप के नाम शामिल हैं। जिन्होंने साल 2019 वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था।

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