आतंकियों का काल है ये अफसर, अब तक ढेर कर रहा 50 से ज्यादा दहशतगर्द; 4 साल में मिला 7वां वीरता मेडल

नई दिल्ली. देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इससे पहले गृह मंत्रालय ने वीरता पुरस्कार (Gallantry Medals) का ऐलान किया है। इस बार जम्मू कश्मीर पुलिस को सबसे ज्यादा  81, सीआरपीएफ को 55, उत्तर प्रदेश पुलिस को 23 अवॉर्ड मिले हैं। सीआरपीएफ में जिन 55 जवानों को मेडल मिले हैं, उनमें एक नाम असिस्टेंट कमांडर नरेश कुमार का भी है। 35 साल के नरेश कुमार बहादुरी का दूसरा नाम हैं। नरेश कुमार ने 7वां पुलिस वीरता मेडल हासिल कर इतिहास रच दिया है। खास बात ये है कि नरेश कुमार को सिर्फ चार साल में ये सभी मेडल मिले हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2020 10:31 AM IST / Updated: Aug 14 2020, 09:33 PM IST

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आतंकियों का काल है ये अफसर, अब तक ढेर कर रहा 50 से ज्यादा दहशतगर्द; 4 साल में मिला 7वां वीरता मेडल

6 साल से श्रीनगर में तैनात हैं नरेश कुमार 
सीआरपीएफ के मुताबिक, नरेश कुमार श्रीनगर में पिछले 6 साल से तैनात हैं। वे पिछले कई सालों से क्विक एक्शन टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। नरेश कुमार को पिछले कई सालों से निरंतर वीरता पुरस्कार मिल रहे हैं। इस साल घाटी में तैनात सीआरपीएफ की क्विक एक्शन टीम को 15 से अधिक वीरता पुरस्कार मिले हैं। 

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50 से ज्यादा आतंकी कर चुके ढेर
नरेश कुमार आतंकियों के खात्मे के लिए बनाई गई टीमों में एक का नेतृत्व करते हैं। उन्हें इस साल गणतंत्र दिवस पर भी वीरता पुरस्कार मिला था। उन्हें श्रीनगर में ऑपरेशन के लिए 2017 में पहला अवार्ड मिला था। इस दौरान उन्होंने 2 आतंकियों को मार गिराया था। 

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इसके बाद उन्हें 2018 में हिजबुल मुजाहिद्दीन के 2 कमांडरों को मार गिराने के लिए वीरता पुरस्कार मिला था। इसके अलावा नरेश कुमार घाटी में कई ऑपरेशनों को अंजाम दे चुके हैं। उनके नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन में अब तक 50 से ज्यादा आतंकी ढेर हो चुके हैं।

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एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नाम से हैं मशहूर
नरेश कुमार को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर माना जाता है। वे पिछले 6 साल से घाटी में तैनात हैं। पिछले कई सालों से वे क्विक एक्शन टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। यह टीम आतंकी वारदात या आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद अपना ऑपरेशन शुरू करती है। 

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पंजाब के होशियारपुर के हैं नरेश कुमार
नरेश कुमार पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने 2013 में सीआरपीएफ जॉइन की थी। उनकी पहली पोस्टिंग कश्मीर में हुई। 2016 से वे क्विक एक्शन टीम में हैं। नरेश कुमार की पत्नी शीतल रावत भी सहायक कमांडेंट हैं। पिता सेना से रिटायर हैं। उनके चचेरे भाई भी आर्मी में हैं। उन्हें भी सेना का मेडल मिल चुका है। 

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नरेश कुमार बताते हैं कि जब वे किसी ऑपरेशन पर होते हैं और उनके घर से कोई फोन आता है और गोलियों की आवाज सुनकर कुछ पूछता है, तो वे कहते हैं कि एक शादी में आया हूं। पटाखे छूटने की आवाज आ रही है। ये बात उन्होंने कई बार दोहराई है। 
 

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पिछले साल भी सीआरपीएफ की 79 वीं वर्षगांठ परेड के मौके पर तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नरेश कुमार को उनके पराक्रम और बहादुरी के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया था। 

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