छठवां किस्सा
जब अंग्रेज हाईकोर्ट आगरा ले आए, तब उनके बड़े भाई नंदलाल ने उन्हें कैंब्रिज पढ़ने भेजा। नंदलाल खुद भी नामचीच वकील थे। मोतीलाल ने कैंब्रिज में टॉप किया था। इसके बाद भारत लौटकर कानपुर में ट्रेनी वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। कहते हैं कि जब मोतीलाल नेहरू किसी मुकदमे के सिलसिल में इंग्लैंड जाते थे, तो महंगे होटलों में ठहरते थे।
मोतीलाल नेहरू की बेटी कृष्णा ने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि उनका परिवार तब पश्चिमी कल्चर में रच-बस चुका था। जब भारत में कोई डायनिंग टेबल के बारे में जानता तक नहीं था, तब उनके घर में महंगी क्रॉकरीज और छुरी-कांटे यूज होते थे। उनके घर में आने वाली आया तक का अंग्रेजी आती थी।
(बाईं तरफ से स्वरूप रानी, मोतीलाल नेहरू, कमला नेहरू, मां के पीछे खड़े जवाहरलाल, उनके बगल में हैं विजया लक्ष्मी पंडित, कृष्णा कुमारी, इंदिरा और विजयालक्ष्मी के पति रंजीत सीताराम पंडित, फोटो: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम ऐंड लाइब्रेरी)