10 हजार फीट पर दुनिया की सबसे बड़ी रोड टनल बनकर हुई तैयार, इस महीने पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

नई दिल्ली. लेह में दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल बनकर तैयार हो गई है। इस टनल को 10 हजार फीट पर बनाया गया है। इसे बनाने में करीब 10 साल का वक्त लगा है। लेकिन, अब इससे लद्दाख पूरी तरह से सालभर जुड़ा रहेगा। इस टनल के कारण मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। टनल का नाम अटल रोहतांग टनल है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 27, 2020 2:25 AM IST
17
10 हजार फीट पर दुनिया की सबसे बड़ी रोड टनल बनकर हुई तैयार, इस महीने पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

10,171 फीट की ऊंचाई पर बनी इस अटल रोहतांग टनल (Atal Rohtang Tunnel) को रोहतांग के पास से जोड़कर बनाया गया है। यह दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है। यह करीब 8.8 किलोमीटर लंबी है। साथ ही यह 10 मीटर चौड़ी है। अब मनाली से लेह जाने में 46 किलोमीटर की दूरी को भी कम कर दिया गया है। अब मनाली से लेह तक का सफर महज 10 मिनट में पूरा किया जा सकता है। 
 

27

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नाली-लेह रोड पर चार और टनल प्रस्तावित हैं, फिलहाल ये टनल बनकर तैयार हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। यह टनल सिर्फ मनाली को लेह से नहीं जोड़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति में भी यातायात को आसान करेगी। यह कुल्लू जिले के मनाली से लाहौल-स्पिति जिले को भी जोड़ेगी।

37

इसके बनने से सबसे ज्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय फौजियों को मिलेगी। क्योंकि इसके चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से की जा सकेगी। अब सिर्फ जोजिला पास ही नहीं बल्कि इस रास्ते से भी फौजियों तक सामान की सप्लाई की जा सकेगी। इस टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा। इसे बनाने की शुरूआत 28 जून 2010 को की गई थी। इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाया है। यह सुरंग घोड़े के नाल के आकार में बनाई गई है।

47

इसे बनाने में BRO के इंजीनियरों और कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी है। क्योंकि सर्दियों में यहां काम करना बेहद मुश्किल हो जाता था। यहां पर तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता था। इस टनल को बनाने के दौरान 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई। गर्मियों में यहां पर पांच मीटर प्रति दिन खुदाई होती थी। लेकिन, सर्दियों में यह घटकर आधा मीटर हो जाती थी।

57

यह टनल इस तरीके से बनाई गई है कि इसके अंदर एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एकसाथ निकल सकते हैं। इसे बनाने में करीब 4 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है। टनल के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है। वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है।

67

इस टनल की डिजाइन बनाने में DRDO ने भी मदद की है ताकि बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़ सके। यहां यातायात किसी भी मौसम में बाधित न हो। इस टनल के अंदर निश्चित दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे, जो स्पीड और हादसों पर नियंत्रण रखने में मदद करेंगे। इसके साथ ही टनल के अंदर हर 200 मीटर की दूरी पर एक फायर हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई है। ताकि, आग लगने की स्थिति में नियंत्रण पाया जा सके। 
 

77

पंजाब यूनिवर्सिटी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने इस टनल में वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए न्यूट्रीनो डिटेक्टर लगाने की अनुमति भी सरकार से मांगी है। कहा जा रहा है कि अब इस टनल के माध्यम से पहाड़ों पर लगने वाले जाम से बचा जा सकेगा। मनाली से लेह तक जाने में ये सुरंग काफी समय बचाएगी।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos