मनहूस मॉनसून : बाढ़ के तांडव में कैसे बचा केदारनाथ का मंदिर, पढ़ें 16 जून की रात का वो दिलचस्प वाकया

Kedarnath Disaster: 9 साल पहले 16-17 जून, 2013 को उत्तराखंड में हुई तेज बारिश के बाद अचानक आए सैलाब ने पूरे राज्य में भारी तबाही मचाई थी। कहते हैं कि केदारनाथ धाम में मंदिर को छोड़कर सबकुछ तबाह हो गया था। पहाड़ से पानी के साथ बहकर आए मलबे में हर चीज जमींदोज हो गई थी, लेकिन बावजूद इसके केदारनाथ मंदिर आखिर कैसे सुरक्षित बचा रहा। भगवान भोलेनाथ के भक्त इसे उन्हीं का चमत्कार मानते हैं। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि हजारों साल पुराने इस मंदिर की मजबूत बनावट और डिजाइन ने इसे बचा लिया। मनहूस मॉनसून सीरिज के तहत हम आज बता रहे हैं आखिर चौतरफा तबाही के बीच कौन बन गया था मंदिर की ढाल? 

Asianet News Hindi | Published : Jul 10, 2022 8:40 AM IST / Updated: Jul 11 2022, 10:47 AM IST
19
मनहूस मॉनसून : बाढ़ के तांडव में कैसे बचा केदारनाथ का मंदिर, पढ़ें 16 जून की रात का वो दिलचस्प वाकया

केदारनाथ के उपरी इलाके में भयानक बारिश और ग्लेशियर टूटने की वजह से जब पानी तेजी से मलबे के साथ नीचे की और उतरा तो रास्ते में आने वाली हर एक चीज जमींदोज हो गई। लेकिन भगवान भोलेनाथ के मंदिर को कोई छू भी न सका। लोग इसके पीछे भगवान का चमत्कार ही मानते हैं। 

29

केदारनाथ के दो साधुओं के मुताबिक, 16 जून को जब बारिश के चलते तबाही मची तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास स्थित एक खंभे पर चढ़कर अपनी जान बचाई। खंभे पर चढ़े साधुओं ने देखा कि मंदिर के पीछे वाले पहाड़ से बाढ़ के साथ बहकर आई एक विशालकाय चट्टान मंदिर के नजदीक आने के बाद रुक गई। 

39

साधुओं के मुताबिक, ऐसा लगा जैसे किसी ने वहां पर लाकर उस चट्टान को रोक दिया हो। उस चट्टान की वजह से बाढ़ का पानी दो भागों में बंट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। साधुओं के मुताबिक, उस समय मंदिर के भीतर 400-500 लोग शरण लिए हुए थे। 

49

साधुओं के मुताबिक, उस चट्टान को मंदिर की ओर आता हुआ देख एक पल के लिए तो हमारी रुह कांप गई थी। इसके बाद हमने केदारनाथ का नाम जपना शुरू कर दिया। लेकिन भगवान भोलेनाथ के चमत्कार की वजह से उस चट्टान ने मंदिर के साथ ही हम सब लोगों के प्राण की रक्षा की।

59

बता दें कि इस घटना को 9 साल हो चुके हैं और आज भी वो शिला केदारनाथ मंदिर के पीछे आदि गुरु शंकराचार्च की समाधि के पास मजबूती से खड़ी है। अब इस शिला को भीमशिला नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं। 

69

आज भी इस शिला का रहस्य बना हुआ है कि मंदिर की चौड़ाई के बराबर की यह शिला आखिर आई कहां से और कैसे वह मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर आकर रुक गई। आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे? जरूर भगवान भोलेनाथ ने ही सबकी रक्षा की है। 

79

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर के अंदर जब 400-5000 श्रद्धालुओं ने शरण ली तब एक चमत्कार ने उन्हें बचाया। मौत को सामने देख लोग भगवान को याद करने लगे। ऐसा लग रहा था कि सैलाब अपने रास्ते में आने वाला सब कुछ निगल जाएगा। लेकिन मंदिर की बनावट और मजबूती ने इसे बचा लिया।

89

केदारनाथ मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, यह मंदिर 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है। इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं। केदारनाथ मंदिर को खास तौर पर बनाए गए 6 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है। केदारनाथ मंदिर बेहद मजबूत चट्टानों से बनाया गया है। ये पत्थर खासे बड़े थे और इन्हें एक ही आकार में तराशा गया है। 

99

केदारनाथ मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसे 1076 से लेकर 1099 तक तक राज करने वाले मालवा के राजा भोज ने बनवाया था। वहीं कुछ लोगों का मानन है कि इसे आठवीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने बनवाया था। 

ये भी देखें : 

मनहूस मानसून : केदारनाथ में तबाही से पहले और बाद की 7 तस्वीरें, खौफनाक मंजर देख कांप उठेगा कलेजा

PHOTOS: केदारनाथ में 9 साल पहले आखिर क्यों आया था जल प्रलय, फोटो देख कांप जाएगा कलेजा

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos