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PHOTOS: केदारनाथ में 9 साल पहले आखिर क्यों आया था जल प्रलय, फोटो देख कांप जाएगा कलेजा
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केदारनाथ में आई बाढ़ को लेकर वैज्ञानिकों ने बताया था कि इसकी सबसे बड़ी वजह ग्लेशियर के एक बड़े टुकड़े का पिघलना था, जिसके चलते पानी का बहाव और आवेग बहुत तेजी से बढ़ा था, जो अपने साथ बड़े-बड़े पत्थरों को बहा लाया था।
16 जून की रात चौराबाड़ी ताल टूटने से मंदाकिनी नदी में बाढ़ आ गई थी। इसके चलते केदारनाथ के आसपास भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद 17 जून की सुबह दोबारा चौराबाड़ी ताल से काफी पानी और मलबा बहते हुए आया, जिसने केदारनाथ समेत पूरी घाटी में तबाही मचाई।
बाढ़ की वजह से मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों ने रामबाड़ा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इसमें 4027 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 6 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। इस दौरान 13,844 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
केदारनाथ में जिस मंदाकिनी नदी ने मौत का तांडव किया था, वो हमेशा पूर्व की ओर बहती थी। लेकिन बाढ़ की वजह से मंदाकिनी ने पश्चिम की ओर भी रुख किया था, जिससे इसके रास्ते में बने बड़े निर्माण तबाह हो गए थे। मंदाकिनी के रास्ते में बने होटल, लॉज और मकान बह गए थे।
2013 में उत्तराखंड में 5 दिनों तक लगातार बारिश होती रही। इससे पहाड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ता गया। बाढ़ से केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंट साहिब जैसी जगहों पर भारी तबाही हुई। इस दौरान सेना और एनडीआरएफ ने करीब 1.10 लाख लोगों को सुरक्षित बचाया था।
केदारनाथ में आई बाढ़ के चलते आठवीं सदी में बने भगवान शिव का मंदिर को भी आंशिक नुकसान पहुंचा था। हालांकि मंदिर के अंदर किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ। इसे भगवान शिव का चमत्कार माना जाता है।
केदारनाथ आपदा में कई गांव तो हमेशाा के लिए तबाह हो गए। केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग में स्थित रामबाड़ा और गरुड़चट्टी के आसपास मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों ने इन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया था। हालांकि, बाद में यहां नए सिरे से बसाहट शुरू हुई।
उत्तराखंड में तेज और लगातार बारिश के चलते हुए भूस्खलन से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिलों में जानमाल का भारी नुकसान हुआ था। इस आपदा में 2141 घर, 100 से ज्यादा बड़े-छोटे होटल, 9 नेशनल हाइवे, 172 बड़े-छोटे पुल पूरी तरह तबाह हो गए थे।
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