Innovative Ideas:बाइक पर painting करके फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट क्या किया; अब मिलने लगे हैं देशभर से ऑर्डर

हैदराबाद. दुनिया का हर व्यक्ति प्रतिभाशाली है। जरूरत अपने हुनर को पहचानने की है। अब हैदराबाद की रहने वालीं 26 वर्षीय सिंगाजोगी सत्यवेनी(Singajogi Satyaveni) को ही देखिए! सत्यवेनी को बचपन से ही पेंटिंग( painting) का शौक रहा है। पहले कागजों पर पेंटिंग्स बनाकर लोगों को दिखाती रहीं। फिर एक दिन मोटरसाइकिल और हेलमेट पर पेंटिंग्स बनाने का आइडिया आया। यह आइडिया इतना चर्चित हुआ कि आज सत्यवेनी का प्रोफेशन बन गया है। यानी उनका पैशन अब प्रोफेशन में बदल गया है। शुरुआत में सत्यवेनी ने अपनी ही बाइक पर पेंटिंग्स करके उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लोगों से कमेंट्स करने को कहा। उनका आइडिया लोगों को इतना पंसद आया कि अब उन्हें इसी काम के ऑर्डर मिलने लगे हैं। सत्यवेनी अपनी बहन संगीता के साथ मिलकर अब अपने इस प्रोफेशन को आगे बढ़ा रही हैं। संगीता वीएफएक्स डिजाइनर(VFX designer) और एनिमेटर(animator) हैं।

Asianet News Hindi | Published : Dec 11, 2021 4:28 AM IST
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Innovative Ideas:बाइक पर painting करके फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट क्या किया; अब मिलने लगे हैं देशभर से ऑर्डर

सत्यवेनी बताती हैं कि उनके माता-पिता पेंटिंग के लिए उनकी प्रेरणा रहे हैं, क्योंकि वे उनकी ही स्केचिंग और पेंटिंग्स को देखकर बड़ी हुई हैं। सिंगाजोगी सत्यवेनी को बचपन से ही पेंटिंग का शौक रहा है। वे अपने जुनून और पेशे को एक महिला केंद्रित आदत(female-centered habit) में जोड़ना चाहती थीं।

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सत्यवेनी बताती हैं कि उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर मोटरसाइकिल के पेट्रोल टैंक पर पेंटिंग्स की थी। इसे दो पार्टों में बांटा गया। एक पेंटिग वर्तमान को दिखाती है, जबकि दूसरी अतीत को। यह एक एक्सपेरिमेंटल शुरुआत थी। दोनों पेंटिंग्स सोशल मुद्दों पर केंद्रित थीं। इन्हीं पेंटिंग्स की फोटोज उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थीं।

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न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए सत्यवेनी ने कहा “मैंने संगीता के साथ मिलकर अपनी बाइक्स पर पेंटिंग्स कीं। आज हमारे पास अलग-अलग राज्यों से ऑर्डर हैं। हम बाइक, हेलमेट, टी-शर्ट और अन्य बेकार की चीजों पर पेंट करते हैं। हम बहनें जहां भी जाते हैं, वहां की तस्वीरों के बजाय पेंटिंग्स बनाते हैं।

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सत्यवेनी बताती हैं कि एक बार उनका बाइक से गिरने पर एक्सीडेंट हो गया था। हादसे में उनका पैर टूट गया। वे इसके लिए अपनी बाइक को दोषी मान रही थीं। बहुत उदास रहने लगी थीं। तब मां ने उन्हें समझाया और हौसला बढ़ाया। डर और अवसाद से निकलने को प्रेरित किया। इसके बाद उन्हें गिफ्ट में बाइक दी। इसके बाद उन्होंने बाइक चलाना फिर शुरू की। 

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सत्यवेनी एक NGO भी चलाती हैं, जो महिलाओं को आत्मरक्षा और बाइक चलाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने का काम करता है। उन्होंने कहा कि उनके एनजीओ ने विभिन्न उम्र की लगभग 180 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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