61 हजार किमी. की यात्रा कर पुलवामा के 40 शहीदों के घर से मिट्टी लाया ये शख्स, हमले वाली जगह पर रखा
पुलवामा. देश के लिए वीर जवानों की कुर्बानी को याद रखने के लिए एक शख्स ने पूरे हिंदुस्तान को नाप डाला। ये शख्स उन वीर शहीद जवानों की मिट्टी को अपने हाथों से छूकर देखना चाहता था इसलिए जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीर हुए 40 जवानों के गांव की मिट्टी इकट्ठा करने यात्रा पर निकल पड़ा था। 14 फरवरी 2020 सीआरपीएफ के 40 शहीदों को उनकी पहली बरसी पर पूरे देश ने श्रद्धांजलि अर्पित की। पर इस शख्स ने अनोखे अंदाज में शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 1:21 PM IST / Updated: Feb 15 2020, 06:54 PM IST
ये हैं गायक उमेशा गोपीनाथ जाधव। उमेशा पिछले एक साल से लगातार पूरे देश में घूमकर पुलवामा के 40 में से हर शहीद के घर पहुंच थे। उसके गांव-घर की मिट्टी ली और उसे लेकर शहीदों की कर्मभूमि पर पहुंच गया। उसकी राष्ट्रभक्ति और आस्था के मान को बढ़ाते हुए, सीआरपीएफ ने भी शहीद स्मारक स्थल पर उसकी लाई मिट्टी को सहेजकर रखा।
दरअसल 14 फरवरी को पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी। उनका शहीद स्मारक स्थल अर्पित बनाया गया तो वहां उमेश गोपीनाथ जाधव को भी बुलाया गया था। सीआरपीएफ ने उन्हें लिथपोरा में शहीद स्मारक स्थल के उदघाटन समारोह में विशेष अतिथि के रुप में बुलाया था। गोपीनाथ ने हर शहीद के घर जाकर वहां से उसकी मिट्टी लेने के लिए उन्होंने 61 हजार किलोमीटर की यात्रा की थी।
बता दें कि, श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर दक्षिण कश्मीर में लिथपोरा, पुलवामा में 14 फरवरी 2019 की दोपहर को करीब तीन बजे जैश ए मोहम्मद के आत्मघाती आतंकी ने विस्फोटकों से भरी कार के साथ सीआरपीएफ काफिले पर हमला किया था। इस हमले में 40 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए थे।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले उमेश गोपीनाथ जाधव ने कहा कि मैं बचपन से सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन नहीं हो पाया। मैं अपने दोनों बच्चों को भी फौज में भेजूंगा।
शहीद सीआरपीएफ कर्मियों का स्मारक स्थल उनके बलिदान स्थल से करीब 200 मीटर दूर स्थित सीआरपीएफ के लिथपोरा कैंप परिसर के भीतर ही बनाया गया है। शहीद स्मारक स्थल को एडीजीपी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने आज राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने उमेश जाधव को भी सम्मानित किया। शहीद स्मारक स्थलके उद्घाटन के बाद एक बातचीत में उमेशा जाधव ने कहा हम इन शहीदों और इनके परिजनों के हमेशा कर्जदार हैं। मुझे पुलवामा के प्रत्येक शहीद के परिवार से मुलाकात करने और उनका आशिर्वाद प्राप्त करने का गौरव है।
मैंने हर शहीद के घर की मिट्टी ली , मैंने उस श्मशान भूमि की मिट्टी भी जमा की, जहां उनकी अंत्येष्टी हुई थी। इस मिट्टी को यहां युद्ध स्मारक में इस्तेमाल किया गया है। यह मिटटी यहां रखी गई है। यह हम सभी को इन शहीदों के बलिदान को सदैव याद रखने और इस देश को आतंकवाद मुक्त बनाए रखने के लिए प्रेरणा देती रहेगी।