2019 की 10 ऐसी घटनाएं, जिनके बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ ऐसा होगा

नई दिल्ली. साल 2019 बीतने में अब बस कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। हर साल की तरह इस बार भी हमें कुछ अच्छी और कुछ बुरी घटनाओं का गवाह बनना पड़ा। लेकिन इस एक साल में कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं, जिनके बारे में लोगों ने सोचा भी नहीं था। आइए जानते हैं, इस साल की कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Dec 28, 2019 11:57 AM IST
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2019 की 10 ऐसी घटनाएं, जिनके बारे में किसी ने नहीं सोचा होगा कि कुछ ऐसा होगा
1- बालाकोट स्ट्राइक : 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला कर दिया था। इस हमले की जिम्मेदारी जैश ए मोहम्मद ने ली थी। इस हमले के 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने इसका बदला लिया। वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में मिराज 2000 लड़ाकू विमान बम बरसाए और आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस हमले में करीब 250 आतंकी मारे गए।
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2- राम मंदिर : इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दशकों से फंसा अयोध्या विवाद भी खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक दिया। भाजपा भी हमेशा से अयोध्या में मंदिर बनाने के पक्ष में थी। साथ ही इसे घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट के सरकार के पक्ष में फैसले से एक और वादा अपने आप ही पूरा हो गया।
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3- मोदी को प्रचंड बहुमत: 11 अप्रैल से 19 मई 2019 तक 7 चरणों में लोकसभा चुनाव हुए थे। चुनाव के वक्त कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा इस बार सत्ता गंवा देगी या फिर स्पष्ट बहुमत से नहीं आ पाएगी। क्योंकि, भाजपा के खिलाफ तमाम दल एक साथ आ गए थे। जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे बड़े राज्यों में भाजपा के खिलाफ गठबंधन हुए थे। इसके अलावा लोकसभा से पहले हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा था। पार्टी ने तीन बड़े राज्यों में सत्ता गंवा दी थी। इसके बावजूद जनता ने एक बार फिर मोदी के चेहरे पर विश्वास किया और 2014 की तुलना में ज्यादा बहुमत दिया। भाजपा ने पिछली बार 283 सीटें जीती थीं, इस बार पार्टी ने 303 सीट पर जीत हासिल की।
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4- चंद्रयान 2: भारत ने 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत चंद्रयान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैडिंग करनी थी। लेकिन सतह से सिर्फ 2 किमी पहले ही लैंडर विक्रम का इसरो से संपर्क टूट गया। इस मिशन से पूरे देश को उम्मीदें थीं, क्यों कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत लैंड करने वाला पहला देश बन जाता है। इसी वजह से पूरी दुनिया की नजरें भी इस पर थीं। हालांकि, बाद में लैंडर को खोज लिया गया, लेकिन उससे दोबारा संपर्क नहीं हो पाया। हालांकि, इस मिशन को इसरो ने 98% सफल बताया।
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5 - आर्टिकल 370 : आर्टिकल 370 का जिक्र भाजपा जनसंघ के वक्त से कर रही है। यहां तक की जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी मुद्दे को लेकर अपनी जान गंवा दी थी। मुखर्जी को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के विरोध में आंदोलन चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 23 जून 1953 को श्रीनगर में उनकी जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। 70 साल से लटका यह मुद्दा हर बार भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होता था। लेकिन मोदी 2.0 में आर्टिकल 370 निष्प्रभावी किया गया। 5 अगस्त को राज्यसभा से बिल पास हो गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित राज्य बनने का भी रास्ता साफ हो गया।
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6- राहुल ने अमेठी गंवाई: लोकसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस को इस बार भी झटका लगा। पार्टी देशभर में सिर्फ 421 सीटों पर चुनाव लड़ा और पार्टी को सिर्फ 52 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी की कमान सौंपी थी। लेकिन उप्र में सिर्फ सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से जीत मिली। यहां तक की राहुल गांधी ने अपनी पारंपरिक सीट अमेठी भी गंवा बैठे। उन्हें स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, राहुल ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, वे वायनाड से चुनाव जीत गए।
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7 - माया-अखिलेश साथ आए: इस लोकसभा चुनाव में एक और संयोग देखने को मिला। उत्तर प्रदेश में एक दूसरे की कट्टर विरोधी मानी जाने वाली पार्टियां सपा और बसपा साथ आ गए। लोकसभा में दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा। हालांकि, यह गठबंधन चुनाव नतीजों के बाद ही टूट गया। इससे पहले 1993 में पहली बार दोनों पार्टियों ने साथ चुनाव लड़ा था।
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8- कर्नाटक में जेडीएस, कांग्रेस सरकार गिरी: कर्नाटक में मई 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। सबसे ज्यादा सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन बहुमत साबित ना होने के चलते राज्य में कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन में सरकार बना ली। लेकिन यह सरकार 14 महीने भी नहीं चली। कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कुमारस्वामी की सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई और भाजपा के येदियुरप्पा सीएम बन गए। इन 17 सीटों में से 15 पर उप चुनाव हुए, जिनमें से भाजपा ने 12 पर जीत हासिल की।
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9-शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन: इस साल महाराष्ट्र्र में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ। यहां नवंबर में हुए विधानसभा में भाजपा और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों पार्टियों के बीच मतभेद हुआ। इसके बाद शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया। साथ ही शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस से संपर्क साधा। इस बीच भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के अजीत पवार के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, ये सरकार सिर्फ 80 घंटे चली। दोनों ने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिवसेना ने अपनी धुरविरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।
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10- नागरिकता कानून: नागरिकता संशोधन विधेयक: तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद अब बारी थी नागरिकता संशोधन विधेयक की। भाजपा के घोषणा पत्र में ये मुद्दा भी हमेशा शामिल रहा। भाजपा ने इस सत्र में इसे पेश किया और दोनों सदनों में पास करा लिया। यहां एक बार फिर अमित शाह की रणनीति ही काम आई कि विपक्ष के विरोध और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत ना होने के बावजूद यह आसानी से पास हो गया।
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