2015 में जब विनाशकारी भूकंप में मटियामेट हो गया था नेपाल, तब भारत ने ही दोस्ती निभाई थी, देखिए 25 तस्वीरें

दिल्ली. कहते हैं कि संकट में ही दोस्तों की पहचान होती है। नेपाल अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत की यह दोस्ती अच्छे से देख चुका है। इस भूकंप में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 9000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अनुमानत: 8000 से ज्यादा घर तबाह हो गए थे। कई धार्मिक और ऐतिहासिक इमारतें जमींदोज हो गई थीं। ऐसा लग रहा था, जैसे नेपाल मिट्टी में मिल गया हो। नेपाल को इस आपदा से उबारने में भारत ने दिल खोलकर मदद की थी। पिछले साल ही भारत ने नेपाल को 1.6 अरब नेपाली रुपए की मदद की थी। भारत ने नेपाल के नुवाकोट और गोरखा जिलों में दुबारा घर खड़े करने यह मदद की थी। लेकिन यही नेपाल अब भारत से दुश्मनी निभा रहा है। जानिए इसकी वजह और तस्वीरों में देखिए भूकंप ने नेपाल का क्या हाल बना दिया था..
 

Asianet News Hindi | Published : Jun 15, 2020 12:52 PM IST / Updated: Dec 08 2020, 03:26 PM IST
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2015 में जब विनाशकारी भूकंप में मटियामेट हो गया था नेपाल, तब भारत ने ही दोस्ती निभाई थी, देखिए 25 तस्वीरें

पिछले दिनों नेपाल की तरफ से बिहार के जानकीनगर बार्डर पर फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई। दरअसल, 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपूलेख से धाराचूला तक बनाई गई एक सड़क का उद्घाटन किया था। लिपूलेख को नेपाल अपना हिस्सा बता रहा है। 18 मई को नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के तीन इलाके लिपूलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को खुद का माना। हालांकि इसके पीछे चीन की साजिश बताई जा रही है। बता दें कि नेपाल के राजघराने और ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के बीच पुराना रिश्ता है। नेपाल के राजा पशुपति राणा की शादी ग्वालियर राजघराने की राजकुमारी उषाराजे सिंधिया से हुई थी। उषा राजे स्व. माधवराव सिंधिया और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सबसे बड़ी बहन हैं। यानी पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ। आगे देखिए 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप की तस्वीरें..

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भूकंप के झटके से ऐसे जमींदोज हो गए थे घर।

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लोगों को अपनी जान बचाने का मौका तक नहीं मिला था।

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हर तरह ऐसे मंजर दिखाई दे रहे थे।

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ऐसी बर्बादी नेपाल में पहली बार देखी गई थी।

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लोगों के लिए यह मंजर बेहद डरावना था।

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एक के ऊपर एक घर गिर पड़े थे।

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इस तरह बर्बादी का मंजर दिखाई दे रहा था।

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कच्चे घर हों या पक्के..सब मटियामेट हो गए थे।

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लाशों को निकालने में ही लंबा समय लगा था।

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मुर्दों की बस्तियों से दिखाई दे रहे थे मोहल्ले।

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भूकंप ने क्या इंसान और क्या भगवान..किसी का घर नहीं छोड़ा था।

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बहुमंजिला इमारतों का यह हाल हो गया था।

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खंडहरों में बदल गए थे अच्छे भले मकान।

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भूकंप के बाद घरों की नींव ऐसी हिल गई थीं कि वे अपने आप गिरने लगे थे।

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इस तरह का मंजर दिखाई दे रहा था।

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भूकंप से तबाह हुए नेपाल की मदद के लिए पूरा भारत आगे आया था। यह तस्वीर मध्य प्रदेश की है। यहां शिवराज सिंह चौहान(तब भी मुख्यमंत्री थे) ने नेपाल की मदद के लिए लोगों ने मदद मांगी थी।

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ऐसे दृश्य आमतौर पर फिल्मों में देखने को मिलते हैं।

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हर तरफ बस तबाही का मंजर था।

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भूकंप के बाद भी घर यूं गिरते रहे।

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ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों का यह हाल हो गया था।

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इस तरह सड़कें फटकर अलग  हो गई थीं।
 

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मकानों के ये हाल हो गए थे।

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