यह मंजर लंबे समय तक दिल-दिमाग पर असर डालता रहेगा, देखिए लॉकडाउन की 22 इमोशनल PHOTOS

नई दिल्ली. वर्ष, 2020 मानवीय त्रासदी के लिए जाना जाएगा। कोरोना पूरा साल ही नहीं, लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा खराब कर दिया। ये तस्वीरें वर्ष, 2020 की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोनाकाल को दिखाती हैं। मार्च में लॉकडाउन के बाद देश में जिस तरह से अफरा-तफरी का माहौल पैदा हुआ, वो मंजर दिल चीरने वाला था। लॉकडाउन में सबसे ज्यादा अगर फजीहत हुई, तो मजदूरों की। काम-धंधे बंद होने से मजदूरों को अपने घर लौटना पड़ा। लेकिन ट्रेनें-बसें और अन्य गाड़ियां बंद होने से उन्हें पैदल ही मीलों चलना पड़ा। इस दौरान मासूम बच्चों को भी पैदल जाते देखा गया। ये तस्वीरें गुजरते साल की सबसे भावुक करने वाली स्थिति दिखाती हैं। हालांकि यह भी सही है कि इन तस्वीरों ने मानव के साहस को भी दिखाया। हर परिस्थिति से लड़ने का माद्दा भी नजर आया।

Asianet News Hindi | Published : Dec 17, 2020 4:03 AM IST / Updated: Dec 17 2020, 10:38 AM IST

122
यह मंजर लंबे समय तक दिल-दिमाग पर असर डालता रहेगा, देखिए लॉकडाउन की 22 इमोशनल PHOTOS

मासूम बच्चों को नहीं मालूम था कि उन्हें खेल-खेल में मीलों पैदल चलाया जाएगा।

222

लॉकडाउन में सबसे ज्यादा फजीहत मासूमों बच्चों के मजदूर मां-बाप को उठानी पड़ी।

322

यह ऐसा पलायन था, जो सदियों में कभी-कभार देखने को मिलता है।

422

इस तरह बच्चों के साथ सफर हुआ।

522

गोद में बच्चा और मीलों बोझ के साथ जाना।

622

यह तस्वीर कोलकाता से सामने आई थी। इस महिला के पास न उस समय कोई घर था और न कोई ठिकाना।

722

यह तस्वीर नोएडा से सामने आई थी। एक मजदूर को यूं घर और गृहस्थी का बोझ ढोना पड़ेगा, उसने कभी नहीं सोचा था। 

822

यह तस्वीर गुरुग्राम से सामने आई थी। बच्चों को लेकर पैदल जाते दिखाई दिए थे मजबूर मजदूर।

922

लॉकडाउन में मासूम बच्चों को लाइन में लगकर खाना लेना पड़ा।
 

1022

लॉकडाउन में घर के लिए निकली मजदूर मां जब थककर सो गई, तब बेटी उसे यूं प्यार करके उठाने लगी।

1122

यह तस्वीर राजस्थान से सामने आई थी। मई की गर्मी में पैदल चलकर थकने के बाद कुछ यूं सो गया मासूम।

1222

यह तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई थी। पश्चिम बंगाल के मालदा की खातून 2500 किमी का सफर पैदल करते दिखाई दी थीं। हैरानी की बात उनकी गोद में मासूम बच्चा था।

1322

लॉकडाउन में बुजुर्गों को इस तरह अपने घर जाना पड़ा था।

1422

यह तस्वीर गाजियाबाद से सामने आई थी। कुछ ऐसे सफर करना पड़ रहा बच्चों को।

1522

पहली तस्वीर में दिखाई दे रहा मजदूर यूपी के गोरखपुर का रहने वाला था। उसने घर जाने के लिए ट्रेन में सीट बुक कराई थी, लेकिन नहीं मिली। आखिरकार उसने बच्चों को पालकी में बैठाया और हिम्मत करके 1000 किमी दूर अपने घर के लिए निकल पड़ा। दूसरी तस्वीर आंध्र प्रदेश के कडपा जिले से सामने आई थी। यह मजदूर 8 लोगों के परिवार के साथ 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ जाने के लिए निकला था। उसने अपने मासूम बच्चों को पालकी में बैठा रखा था।

1622

यह तस्वीर भोपाल से सामने आई थी। यह मासूम बच्चा अपने मां-बाप और छोटे भाई के साथ 700 किमी दूर छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव जाता दिखाई दिया था। बच्चा पैदल ही नंगे पैर चला जा रहा था।

1722

यह बच्चा लॉकडाउन में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले से छत्तीसगढ़ के जांजगीर पहुंचा था। करीब 215 किमी उसे पैदल चलना पड़ा। कहीं-कहीं लिफ्ट भी मिली। जब ये जांजगीर पहुंचा, तो उसके नंगे पैर देखकर बिर्रा थाने के प्रभारी तेज कुमार यादव भावुक हो उठे। उन्होंने बच्चे को नई चप्पलें दिलवाईं और उसके परिवार को खाना खिलवाया। इसके बाद गाड़ी का इंतजाम करके सबको घर तक पहुंचवाया।
 

1822

पहली तस्वीर अहदाबाद से सामने आई थी। एक श्रमिक अपनी बेटी के साथ कालूपुर जा रही थी। रास्ते में बच्ची की चप्पल टूट गई। वो एक चप्पल पहनकर ही मई की तपती गर्मी में चलती रही। दूसरी तस्वीर 10 साल की बच्ची की सामने आई थी। वो नंगे पांव चंडीगढ़ से यूपी जा रही थी।

1922

इस तरह एक गाड़ी में ठुंसकर घर जाना पड़ा।

2022

इस तरह के मंजर सारे देश में देखने को मिले।

2122

इन दृश्यों ने हैरान भी किया और इमोशनल भी।

2222

नई पीढ़ी ने ऐसा मंजर पहली बार देखा।

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos