नन्हे कोरोना वॉरियर्स: 2 साल की बेटी ने जब कोरोना को हराया, गोद में उठाकर खुशी से रो पड़ा पिता

वडोदरा, गुजरात. यह हैं गुजरात की सबसे छोटी कोरोना वॉरियर्स 2 साल की आयशा। इस बच्ची को नहीं मालूम कि कोरोना क्या है? उसे बस इतना मालूम था कि वो बीमार थी, इसलिए हॉस्पिटल में रखा गया था। बोडेली की रहने वाली आयशा को कोरोना पॉजिटिव होने पर वडोदरा के गोत्री मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। आयशा ने कोरोना को हरा दिया है। लिहाजा, उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई। जब अपनी बेटी को पिता ने गोद में लिया, तो वो भावुक होकर रो पड़ा। डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना का संक्रमण बुजुर्गों और बच्चों में सबसे ज्यादा होता है। इसलिए उन्हें सतर्क रहना होगा।

Asianet News Hindi | Published : Apr 23, 2020 6:27 AM IST
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नन्हे कोरोना वॉरियर्स: 2 साल की बेटी ने जब कोरोना को हराया, गोद में उठाकर खुशी से रो पड़ा पिता

आयशा का इलाज करने वालीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नईनीवाले के मुताबिक, उसके दादा और बाकी सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव निकले थे। हालांकि दादा भी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। आयशा के पिता अहमदउल्ला ने बताया कि उसका 13 दिनों तक इलाज चला। अपनी बेटी को ठीक देखकर वो बहुत खुश है।

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गोत्री हॉस्पिटल के डॉ. चिराग राठौड़ ने 4 से 55 साल की उम्र हाई रिस्क मानी जाती है। हमारे लिए ऐसे लोगों का इलाज करना चुनौती थी, लेकिन हम सफल हुए। अभी आयशा का मां का इलाज जारी है।

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यह हैं गुजरात के जामनगर की नंदिनी। इसक मम्मी-पापा मजदूर हैं। जाहिर-सी बात है कि इनके लिए लॉकडाउन मे अपना पेट भरना मुश्किल होगा। ऐसे में इस बच्ची का अपनी गुल्लक में जमा 25 रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में देना वाकई साहस का काम है। जब इस बच्ची ने यह राशि जयदीप सिंह जाडेजा को देते हुए राहत कोष में जमा कराने को कहा, तो वे भावुक हो उठे। उन्होंने बाकी पैसे अपनी जेब से मिलाकर कोष में 1000 रुपए जमा करा दिए। पुलिसकर्मी ने कहा कि यह छोटी राशि एक बड़ी मिसाल है।

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यह हैं सूरत की रहने वालीं 5 साल की रश्मि देसाई। इनका एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वो लोगों से अपनी प्यारी-सी मुस्कराहट के साथ लॉकडाउन का पालन करने की अपील कर रही हैं। रश्मि के इस वीडियो को देखकर प्रधानमंत्री ने भी तारीफ की है।

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यह हैं सूरत के रहने वाले चचेरे भाई 4 साल के जीत और 5 साल के वैदिक। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद इन्हें शनिवार रात करीब 12 बजे एम्बुलेंस के जरिये सिविल हास्पिटल लाया गया था। बच्चों को कोरोना स्पेशल वार्ड में रखा गया है। चूंकि बच्चों की उम्र कम है, लिहाजा इनकी मांओं को भी मजबूरी में साथ रखना पड़ा है। इन बच्चों को यहां आना बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा। बेशक हॉस्पिटल प्रबंधन इनका पूरा ख्याल रख रहा है। ये बच्चे भी धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। डॉक्टरों ने उम्मीद जताई है कि ये नन्हे कोरोन वॉरियर्स भी जल्द अपने घर जाएंगे।

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