मुक्तसर, पंजाब. केमिकल खाद और दवाओं से फसलों की पैदावार तो बढ़ रही, लेकिन उन्हें खाकर लोगों की उम्र घटती जा रही है। जहरीली खेती कई तरह की बीमारियों को जन्म दे रही है। कैंसर जैसी बीमारियां इसी केमिकल खेती का दुष्परिणाम हैं। यही वजह है कि अब लोग जैविक खेती को बढ़ावा देने में लगे हैं। यह हैं फिरोजपुर जिले के गांव सोहनगढ़ रत्तेवाला के रहने वाले एडवोकेट कमलजीत सिंह हेयर। वे पहले वकालात करते थे। इनका अच्छा-खासा नाम रहा है। हर महीने इनकी इनकम करीब डेढ़ लाख रुपए महीने होती थी। लेकिन एक दिन ये सबकुछ छोड़कर अपने गांव आ गए और खेतीबाड़ी करने लगे। तब लोगों ने इनके फैसले का खूब मजाक उड़ाया। जैसे-जैसे समय बीता, खेती-किसानी के इन तौर-तरीके फेमस होते गए। आज ये अपनी पहली कमाई से कई गुना ज्यादा कमाते हैं। वहीं, इन्हें आत्मसंतोष भी है कि इनकी उगाई फसल खाकर कोई बीमार नहीं पड़ता। दरअसल, खेतबाड़ी में केमिकल दवाओं का छिड़काव और केमिकल खाद के चलते फसलें जहरीली हो हो गई हैं। इन्हें खाने वाले कई तरह की बीमारियों से घिरते जा रहे हैं। कमलजीत बताते हैं कि उनके पिताजी की सिर्फ 53 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। वहीं, उनका छोटा भाई 10 साल में ब्रेन ट्यूमर का शिकार बन गया। जबकि उनके दादाजी 110 साल जीये। यह सब देखकर उन्होंने निश्चय किया कि वो जैविक खेती को बढ़ावा देंगे। पढ़िए एक मानव हितैषी सफल किसान की कहानी...