जयपुर, राजस्थान. कोरोना संक्रमण के डर ने मानों दुनिया की पूरी गति और मति ही बदल दी है। सबकुछ ठहर गया है। क्या जीवनशैली..क्या खान-पान..बल्कि खुशी और मौत से जुड़ीं परंपराओं पर भी गहरा असर पड़ा है। कहते हैं कि किसी की खुशी में भले शामिल न हो, लेकिन दु:खों में शरीक होना चाहिए। लेकिन कोरोना के डर से क्या खुशी और क्या गम..सबने यहां-वहां जाना बंद कर दिया है। श्मशान में चिताएं अकेली जल रही हैं। दो-चार लोगों से ज्यादा वहां कोई नहीं पहुंच रहा। शोकसभाएं भी नहीं हो रही हैं। यही नहीं, मृतक की अस्थियां भी विसर्जन के लिए रखी देखी जा सकती हैं। लॉक डाउन के चलते गाड़ियां पूरी तरह बंद होने से लोग अस्थियां विसर्जन करने नहीं जा पा रहे हैं। लोग शोक संदेश भेजते समय भी उसमें यह लिखने लगे हैं कि आप घर पर ही मृत आत्मा का शांति के लिए प्रार्थना करें। यह तस्वीर राजस्थान के बूंदी की है। ये अस्थियां विसर्जन को रखी हैं।