कांस्टेबल रतन लाल की बेसुध पत्नी बोली- उनके साथ ही खाना खाऊंगी, बेटे की मौत से अनजान है बूढ़ी मां
सीकर (राजस्थान). दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत के दो दिन बाद बुधवार को पार्थिव शरीर सीकर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव तिहावली पहुंचा। जवान की पत्नी पूनम ने दो दिन से खाना नहीं खाया है। वह पति की फोटो देखकर रो रही है। आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। वह बार-बार बेहोश हो जाती है। जब कोई उसको कुछ खाने को कहता तो उसका जवाब आता है - वो (रतन लाल) जब आएंगे तब उनके साथ खाना खाऊंगी। कांस्टेबल की 70 साल की बूढ़ी मां अभी बेटे की मौत से अनजान है। उसको यह नहीं पता कि उसका लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा। बता दें, सीएए को लेकर दिल्ली के कई इलाकों में चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच सोमवार को रतन लाल की मौत हो गई थी।
Asianet News Hindi | Published : Feb 26, 2020 10:01 AM IST / Updated: Feb 26 2020, 04:14 PM IST
रतनलाल का बुधवार को उनके पैतृक गांव तिहावली में अंतिम संस्कार हुआ। जवान की मौत के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। रतनलाल को शहीद का दर्जा देने के लिए गांव वालों ने धरना भी दिया, हालांकि धरना अभी खत्म हो गया।
मंगलवार को हैड कांस्टेबल को दिल्ली पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर श्रद्धांजलि दी थी। गृह मंत्री अमित शाह ने रतन लाल की पत्नी पूनम को पत्र लिखकर कहा- आपके पति बहुत बहादुर थे।
कांस्टेबल रतन लाल ने 22 फरवरी को पत्नी और तीन बच्चों के साथ शादी की सालगिरह मनाई थी। लेकि दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। जवान की पत्नी पूनम बार-बार शादी की सालगिरह वाली बात को याद करके रो रही है।
रतन लाल मूलरूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले थे। वह वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। फिलहाल वो दिल्ली के गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी अनुज के ऑफिस में तैनात थे।
रतन लाल की दो बेटियां सिद्धि (13), कनक(10) और बेटा राम (5) पीछे छोड़ गए हैं। तीनों बच्चे एनपीएल स्थित दिल्ली पुलिस पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते हैं।
42 साल के रतन लाल परिवार में कमाने वाले इकलौते थे। जानकारी के मुताबिक, वह सोमवार को बुखार होने के बावजूद ड्यूटी पर गए थे। वे पत्नी और तीन बच्चों के साथ बुराड़ी में रहते थे।
साल 2004 में जयपुर की रहने वाली पूनम से उनका विवाह हुआ था।
रतन लाल के भाई दिनेश लाल ने बताया, वे एक सच्चे देशभक्त थे, उन्होंने बचपन से ही ठान लिया था कि उनको पुलिस या सेना में भर्ती होना है। पुलिस में होने के बाद भी उनका स्वभाव बहुत शांत था। उनको देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि वो पुलिस की नौकरी करते थे।