500 मीटर दूरी पर खड़े थे मां-बाप, फिर भी 4 साल की बेटी को अंतिम विदाई देते समय माथा तक चूम न सके

जयपुर, राजस्थान. कलेजा चीरने वाली यह तस्वीर जयपुर की है। उन लोगों के दिलों पर क्या बीती होगी, जो अंतिम समय में भी अपनों का चेहरा नहीं देख सके। पहली तस्वीर 17 अप्रैल की है। 22 साल के एक युवक की मौत के बावजूद उसके परिजन पास नहीं आ सके। उन्होंने वीडियो कॉल पर बेटे का चेहरा देखा। ऐसा ही एक मामला हाल में सामने आया। एक मां-बाप अपनी मासूम बेटी को अंतिम विदाई देते समय भी उसे देख नहीं सके। कोरोना प्यार में भी बाधक बन गया है।  4 साल की इस बच्ची की 9 मई को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। चूंकि मां-बाप खुद हॉस्पिटल में क्वारेंटाइन थे, इसलिए बेटी की लाश मर्चुरी में रखी रही, लेकिन वे दर्शन नहीं कर पाए। यह मामला जयपुर के सबसे बड़े हॉस्पिटल सवाई मानसिंह से जुड़ा है। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2020 6:04 AM IST / Updated: May 20 2020, 11:35 AM IST

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500 मीटर दूरी पर खड़े थे मां-बाप, फिर भी 4 साल की बेटी को अंतिम विदाई देते समय माथा तक चूम न सके

यह तस्वीर एक शख्स की लाश की है। इसकी मौत कोरोना से हुई थी। परिजन उसके पास नहीं आ सके। लिहाजा वीडियो कॉल के जरिये उसका चेहरा देख पाए। एसएमएस हॉस्पिटल के डॉ. सुमंत दत्ता के मुताबिक, यह सिलसिला अप्रैल से चल रहा है। आइए पढ़िये ऐसी ही दो मामले..
 

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यह मामला भी जयपुर का है। जवान बेटे की मौत के बाद ये मां-बाप ठीक से उसका चेहरा भी नहीं देख सके। जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब मां-बाप 10 मीटर दूर खड़े होकर रोये जा रहे थे। 27 साल के बेटे की लाश पॉलिथीन में लिपटी रखी थी। क्योंकि बेटे की मौत कोरोना के कारण हुई थी। मृतक युगल किशोर के पिता कन्हैयालाल ने बताया कि उसका एक्सीडेंट हुआ था। जांच में वो पॉजिटिव निकला था। इसके बाद उसकी मौत हो गई। आगे पढ़िए मध्य प्रदेश की ऐसी ही एक घटना
 

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दूर से पिता की चिता जलते देखता रहा बेटा: यह मामला मध्य प्रदेश के भोपाल में कुछ दिनों पहले सामने आया था। कोरोना ने एक बेटे को इतना डरा दिया कि वो अपने पिता को मुखाग्नि देने तक आगे नहीं आया। वो 50 मीटर दूर खड़े होकर चिता को देखते रहा। बेटा ही नहीं, मृतक की पत्नी भी दूर नजर आई। आखिरकार तहसीलदार ने मानवीयता दिखाते हुए इस अपने लिए अनजान बुजुर्ग को मुखाग्नि दी। इस बुजुर्ग की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में

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कोरोना के डर से रिश्तों में आईं दूरियों की यह कहानी शुजालपुर के एक परिवार की है। इनके परिवार के बुजुर्ग को 8 अप्रैल को पैरालिसिस अटैक आया था। उन्हें भोपाल के पुराने शहर स्थित मल्टीकेयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहां जांच में उन्हें कोरोना निकला था। बाद में उनकी मौत हो गई। (तस्वीर में तहसीलदार अंतिम संस्कार करते हुए)

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प्रशासन की सूचना पर शुजालपुर से मृतक की पत्नी, बेटा और साला भोपाल पहुंचे। लेकिन उन्होंने शव को लेने से मना कर दिया। उन्होंने लिखकर दे दिया था कि प्रशासन ही अंतिम संस्कार कर दे। आखिरकार तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने मानवीयता दिखाकर अंतिम संस्कार किया।(अंतिम संस्कार के दौरान तहसीलदार)

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जब बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, तब बेटा 50 मीटर दूर खड़ा चिता को देख रहा था। पिता की मौत पर बेटे ने सिर्फ इतना कहा कि भगवान किसी को ऐसी मौत न दे। तहसीलदार ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया है।(तस्वीर-तहसीलदार)

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अंतिम संस्कार के बाद स्नान करते तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल। उन्होंने कहा कि कोरोना ने लोगों की भावनाओं पर भी असर किया है।

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