एक ऐसी भी अर्थी: लाश नहीं मिली तो मिट्टी का शव बना किया अंतिम संस्कार, पत्नी बेटी उसी पर सिर रख रोए


बांसवाड़ा (राजस्थान). पूरी दुनिया में कोरोना वायरस इस कदर कहर बरपा रहा है कि संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद उनके परिवार वाले ना तो उनका अंतिम बार चेहरा देख पा रहे हैं और ना ही दाह संस्कार कर पा रहे हैं। ऐसा ही एक झकझोर देने वाला मामला राजस्थान में सामने आया है। जब बांसवाड़ा जिले के रहने वाले एक युवक की विदेश में मौत हो गई। ऐसे में जब शव नहीं आया पाया तो घरवालों ने मृतक की तरह मिट्टी का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : May 21, 2020 9:00 AM IST / Updated: May 21 2020, 03:01 PM IST
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एक ऐसी भी अर्थी: लाश नहीं मिली तो मिट्टी का शव बना किया अंतिम संस्कार, पत्नी बेटी उसी पर सिर रख रोए

दरअसल, बेबसी की यह तस्वीर बांसवाड़ा जिले के नरवाली गांव में बुधवार के दिन देखने को मिली। बता दें कि यहां के एक 45 साल के व्यक्ति की कोरोना से कुवैत में 19 मई को मौत हो गई थी। जहां उसके शव को कुवैत में ही दफनाया गया। जब इस मामले की जानकारी मृतक के परिजनों को सूचना मिली तो उन्होंने भी मृतक का  रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई। जिसके चलते एक मृतक का प्रतीकात्मक पुतला बनाकर दाह संस्कार किया गया। 

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गांववालों ने बताया कि मृतक पिछले 22 साल पहले रोजगार की तलाश में कुवैत गया था। जहां उसको नौकरी मिल गई और वह वहीं रहने लगा, वो एक साल पहले अपनी बेटी की शादी करने के लिए बांसवाड़ा आया था, इसके बाद से नहीं आया, लेकिन, हर महीने अपने घरवालों को पैसे भेजते रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और चार बेटियां-एक बेटा और बूढ़ी मां हैं। उसके चले जाने के बाद घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है।

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ऐसी एक तस्वीर 30 अप्रैल को डूंगरपुर से सामने आई थी, जहां जह यहां के रहवासी होटल व्यवसायी दिलीप कलाल की पिछले दिनों कुवैत में कोरोना के चलते मौत हो गई थी। लॉकडाउन के चलते उसका शव आ पाया तो घरवालों ने उसके पुराने कपड़ों का शव बनाकर अंतिम संस्कार किया था। ताकि उसको अपने गांव की मिट्टी नसीब हो सके।
 

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यह तस्वीर राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक शमशान घाट की है। जहां कोरोना योद्धा विष्णु और उनकी टीम अब तक 65 से ज्यादा कोरोनाग्रस्त शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। वह कहते हैं कि कुछ ऐसे भी परिवार हैं जो चाहकर भी कोरोना से मरने वाले का अंतिम संस्कार नहीं कर पाए। ऐसे हम उनके अपने बनकर उनकी देह को आग देते हैं। विष्णू का कहना है कि जब कोरोना पीड़ित की मौत के बाद शव उनके पास लाया जाता है तो डर लगता है। लेकिन फिर सोचते हैं कि अगर हम उनका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे तो कौन करेगा। इसलिए हम लोग अपने धर्म का पालन कर रहे हैं। 

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कोरोना की ऐसी ही एक दर्दनाक तस्वीर  पंजाब के जालंधर से सामने आई है। जहां एक कोरोना वायरस से संक्रमित बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। जहां महिला के संस्कार को लेकर हेल्थ विभाग की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। क्योंकि मृतका का एक बेटा कोरोना पॉजिटिव है, दूसरा क्वारैंटाइन और तीसरा शहर के बाहर है। ऐसे में बेबस होकर दामाद ने महिला का अंतिम संस्कार किया।
 

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बेबसी की ऐसी एक तस्वीर राजस्थान के पाली में देखने को मिली। जहां कोरोना संकमितों की मौत के बाद उनकी राख और अस्थियों को गंदगी दफनाया जा रहा है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने इन अस्थियों को नगर निगम के कर्मचारियों को सौंप दिया था। जिसके बाद उन्होंने इसे जेसीबी से गड्‌ढा खोदकर प्रदूषित बांडी नदी के किनारे दफन कर दिया।
 

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