दरअसल, आनंद गिरी का असली नाम अशोक है, और वह मूल रूप से भीलवाड़ा जिले के सरेरी गांव के रहने वाले हैं।12 साल की उम्र में वह 1997 में अपने गांव छोड़कर हरिद्वार भाग गए थे। जहां वह महंत नरेंद्र गिरी से मिले और उनको अपना गुरु बनाकर उनके चरणों में शरण ली।
नरेंद्र गिरि उनको दीक्षा दी और वह अशोक से आनंद गिरी बन गए।