अधिकारियों का कहना है कि इन व्यपारियों ने पिछले 6-7 साल के लेन-देन का पूरा ब्यौरा कई रजिस्टरों, स्लिप पैड, दिन-प्रतिदिन की कच्ची कैश बुक आदि के रूप में बेसमेंट में छिपा रखा था। इस दौरान विभाग की टीमों को बड़ी संख्या में दस्तावेज मिले। जिनमें ब्यौरे के खर्च, बिना ब्यौरे की संपत्तियां, नकदी कर्ज व अग्रिम से जुड़ा आंकड़ा लिखा हुआ है।