हादसे के वक्त किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, पूरी बस में आग और आसपास अंधेरा था, लोग इसअधेरे में बुरी तरह से चीख-पुकार रहे थे। में खिड़की की तरफ बैठा हुआ था, आग जब अंदर आई तो मैंने पास वाली कई खिड़कियों की कांच तोड़ दिए। जिससे लोग उसमें से कूदने लगे। मेरे साथ मेरी दो बहनें भी इस यात्र में थीं, पहले मैंने उनको बाहर निकला, इसके बाद मैंने भी छलांग लगा दी। तब तक बस में आग काफी फैल चुकी थी। कुछ ही सेकंड्स में भयानक लपटें उठने लगीं, जो लोग अंदर रह गए वह जिंदा जलकर मर गए।