मरकर भी अमर हो गई ये रामभक्त: मौत होते ही सुहागिन के दान किए सारे गहने, पति ने सिसकते हुए बताई अंतिम इच्छा

जोधपुर (राजस्थान). राम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विश्व हिंदू परिषद के लाखों कार्यकार्ता चंदा एकत्रित कर रहे हैं। जहां लोग 10 रुपए से लेकर 11 करोड़ तक की राशि भेंट कर रहे हैं। इसी बीच राजस्थान के जोधपुर से एक अनोखा राम भक्त की कहानी सामने आई है। जहां एक युवक ने अपनी पत्नी की मौत के बाद उसके सारे गहने  मंदिर निर्माण के लिए समर्पण कर दिए। दान करने के बाद बोला कि उसकी पत्नी की यह अंतिम इच्छा थी कि उसके सारे जेवरात भगवान के मंदिर के लिए दे देना।

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2021 8:14 AM IST
14
मरकर भी अमर हो गई ये रामभक्त: मौत होते ही सुहागिन के दान किए सारे गहने, पति ने सिसकते हुए बताई अंतिम इच्छा

दरअसल, यह अनोखा मामला जोधपुर शहर का है। जानकारी के अनुसार समर्पण निधि जुटाने वाले शहर के आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख हेमंत गोष्ट के पास 4 फरवरी को एक कॉल आया था। जिसमें एक शख्स ने कहा कि मैं विजय सिंह गौड़ बोल रहा हूं, मेरी पत्नी आशा कंवर की कुछ दिन निधन हो गया है, उसके सारे गहने मंदिर के निर्माण के लिए दान करना चाहता हूं। इतना कहते ही युवक सिसकने लगा। उसके रुंधे गले से आवाज आई कि आज वो हमें छोड़कर चली गई, उनकी अंत्येष्टि से पहले कृपया आप लोग आइए और उनकी अंतिम इच्छा पूरा कर दीजिए।

24


निधि जुटाने वाले हेमंत गोष्ट ने विजय सिंह गौड़ को कहा कि पहले आप अपनी पत्नी का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर  लीजिए उसके बाद उनकी अंतिम इच्छा पूरी कर देना। इसके बाद युवक ने अपने परिजनों की सहमति से पत्नी के सारे गहने को 7 लाख रुपए से ज्यादा कीमत में बेच दिया। फिर उन रुपयों को उसने समर्पण निधि जुटाने वाली समीति को दान कर दिए।

34


बत दें कि 54 वर्षीय आशा कंवर कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गई थी। जिसके चलते उनके फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था। हालांकि इससे वह उबर चुकी थीं। 3 फरवरी को आशा देवी को उनके पति ने सामान्य चेकअप के लिए अस्पताल लेकर आए थे। फेफड़ों में बढ़े संक्रमण के कारण उन्हें एडमिट करा दिया गया। इलाज के दौरान उन्होंने पति विजय सिंह और बेटे के सामने अपनी अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए कहा था।

44


बताया जाता है कि आशाकंवर ने कुछ दिन पहले ही अपनी आत्मकथा लिखना शुरू कर दिया था। जिसमें विवाह से लेकर अब तक मायके वालों और ससुरालवालों के बारे में लिखा था। कहां कितना किससे ज्यादा प्यार और स्नेह मिला। वह रोजाना रामायण का पाठ करती थीं। लेकिन उनकी यह आत्मकथा अधूरी ही रह गई।

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos