पति के खिलाफ इलेक्शन में खड़ी हो गई पत्नी, तो नाराज हो गई सौतन, प्रचार में बोली, 'मेरे पति को जिताओ'
बूंदी, राजस्थान. राजनीति जो न कराए, वो ठीक! कुर्सी की लड़ाई कभी-कभार घर में भी जंग छिड़वा देती है। यह मामला भी इसी से जुड़ा है। राजस्थान की एक पंचायत के चुनाव में पति-पत्नी आमने-सामने आ गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस राजनीति में दूसरी पत्नी भी कूद पड़ी है। उसने लोगों से सौतन के बजाय पति को जिताने की अपील की है। यह मामला बूंदी जिले की अरनेठा ग्राम पंचायत से जुड़ा है। यहां पहले चरण में 17 जनवरी को चुनाव होना है। यहां से सरपंच के लिए 8 प्रत्याशी मैदान में है। इनमें बैरवा बस्ती निवासी बजरंगीलाल मेघवाल और उनकी पत्नी सुगनाबाई आमने-सामने हैं।
हुआ यूं कि बजरंगी की दो पत्नी हैं। इनके तीन बच्चे हैं। तीन बच्चे होने की वजहे से पति को डर था कि कहीं उसका नामांकन रद्द न हो जाए। इसलिए उसने पहली पत्नी सुगना का भी फार्म भरवा दिया।
बजरंगी ने सोचा था कि उसका फार्म निरस्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चुनाव आयोग ने दोनों को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिए। लिहाजा पति-पत्नी की मजबूरी है कि वे एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ें।( फोटो: सुगना बाई)
हालांकि बजरंगी इस चुनाव को आनंद के रूप में ले रहे हैं। उन्हें मालूम है कि जीतना पत्नी या उनमें से ही किसी एक को है। यानी कुर्सी घर में ही आएगी।
उधर, बजंरगी की दूसरी पत्नी संतरा बाई पति के खिलाफ सौतन के चुनाव लड़ने से खुश नहीं है। लिहाजा वे पति के साथ चुनाव प्रचार कर रही हैं। वे अपनी सौतन को हराने की अपील कर रही हैं।
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद के मुंगझर पंचायत में सरपंच के चुनाव में एक बार फिर मां-बेटी आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में मां से 6 वोटों से हारी बेटी ने इस बार रणनीति बदली है। उसने अपनी बाकी चारों बहनों को भी अपने पक्ष में प्रचार-प्रचार के लिए उतार लिया है। गांववालों को समझ नहीं आ रहा कि वे किसे जिताएं और किसे हराएं? सुशीला बाई करीब 20 साल से गांव की सरपंच हैं। उनकी गांव में काफी इज्जत है। इसकी वजह, उन्होंने अपने गांव में काफी विकास कार्य कराए हैं। यही वजह है कि गांववाले उन्हें पसंद करते हैं। पिछले चुनाव में सुशीला बाई ने अपनी बेटी मंजू को 6 वोटों से हराया था। इस बार मंजू को उम्मीद है कि वे मां को हरा देंगी। उधर, सुशीला बाई को भरोसा है कि उन्होंने गांव में जो विकास कार्य कराए हैं, उन्हें देखते हुए वे ही जीतेंगी। इस बार मंजू ने मां को घेरने नई रणनीति बनाई है। उन्होंने अपनी चार बहनों को भी अपने सपोर्ट में कर लिया है। मंजू की चारों बहनें भी इसी गांव में रहती हैं और रिश्ते में उनकी देवरानी लगती हैं। मंजू का मानना है कि उनकी बहनें मां को हराने में उनकी सबसे बड़ी ताकत बनेंगी।