मौत से पहले दिए बयान में बाबूलाल ने बताया था कि कैलाश मीणा अपने लोगों शंकर, नमो, किशन और रामलखन के साथ मंदिर के बाड़े पर कब्जा करके छप्पर लगा रहा था। इसका विरोध करने पर उसने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। पुजारी बाबूलाल ने बताया था कि उसका परिवार मंदिर की 15 बीघा जमीन पर खेतीबाड़ी करके अपना गुजारा करता था।