13 साल की बेटी के टैलेंट के PM Modi भी मुरीद, जो विदेश के स्टूडेंट को सिखा रही कमाल का हुनर, बनाए कई रिकॉर्ड

अजमेर (राजस्थान). अक्सर हमने लोगों से कहावत सुनी है कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। यानि कुछ ऐसे होशियार बच्चे होते हैं जिनको बचपन में ही देखकर लगता है कि यह आगे चलकर बड़ा मुकाम हासिल करेंगे। इसी कहावत को सच कर दिया है राजस्थान के अजमेर की बेटी 13 साल की गौरी ने, जो अपने टैलेंट से दुनियाभर में नाम कमा रही है। खुद प्रधानमंत्री मोदी खुद उसके हुनर के मुरीद हैं। पढ़िए कैसे 13 साल की गौरी अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक के स्टूडेंट को सिखा रही हुनर...

Arvind Raghuwanshi | Published : Jan 27, 2022 8:35 AM IST / Updated: Jan 27 2022, 02:07 PM IST

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13 साल की बेटी के टैलेंट के PM Modi भी मुरीद, जो विदेश के स्टूडेंट को सिखा रही कमाल का हुनर, बनाए कई रिकॉर्ड

दरअसल, गौरी अपनी अनोखी आर्ट कैलीग्राफी के जरिए दुनियाभर में अपना नाम बना रही है। गौरी माहेश्वरी को साल 2022 का प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है। हालांकि इसके अलावा भी वह कई सम्मान जीत चुकी है। उसके नाम देश-विदेश में कई रिकॉर्ड बुक में भी दर्ज है।
 

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बता दें कि अब तक गौरी अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक 1500 बच्चों को कैलीग्राफी की ट्रैनिंग दे चुकी है। उसके पाद दुनियाभर से सैंकड़ों स्टूडेंट कैलीग्राफी का हुनर यानि इसकी शिक्षा लेने के लिए आते हैं। कइयों को वह ऑनलाइन के जरिए कैलीग्राफी के बारे में बताती है। क्योंकि कैलीग्राफी को दुनिया में एक कला के रूप में अपनाया जा रहा है, इसलिए आज उसकी इतनी ज्यादा डिमांड है।
 

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 कैलीग्राफी शादी के कार्ड, हाथ की बनी प्रेजेंटेशन, मेमोरियल डाक्यूमेंट, सर्टिफिकेट, निमंत्रण-पत्र, बिजनेस कार्ड पोस्टर, ग्रीटिंग कार्ड, बुक कवर, लोगो, लीगल डॉक्यूमेंट बनाने, सिरेमिक और मार्बल पर शब्दों को उकेरने सहित अन्य काम आती है। गौरी उस उम्र में कैलीग्राफी सीखना शुरू कर दिया था, जिस उम्र में बच्चे पेंसिल से ढंग से नहीं लिख पाते हैं। यानि गौरी की उम्र तब महज 6 साल थी,जब उसने इसे सीखना शुरू किया था।
 

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मीडिया से बात करते हुए गौरी ने बताया कि उसे कलर पैन का शौक था। अलग-अलग रंग के पैन से हैंड राइटिंग बहुत पसंद थी। इस दौरान कैलीग्राफी के बारे में पता चला। रिसर्च किया तो बहुत सी जानकारियां मिली। धीरे-धीरे शब्दों के कई डिजाइन सीखें और 2-डी डिजाइन से लेकर बहुत कुछ सीखा। इसके बाद से ही वह कैलीग्राफी कर रही हैं। 
 

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गौरी ने बताया कि उसे 150 से अधिक कैलीग्राफी की डिजाइन आती है। यहां तक कि गौरी ने खुद के भी कैलीग्राफी डिजाइन क्रिएट किए हैं। गौरी का मक्सद दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कैलीग्राफर बनना है। गौरी का कहन है कि कैलीग्राफी एक बार दिमाग में बैठ जाए तो हार्ड नहीं लगती है। यानि फिर इसे आसानी से सीखा जा सकता है।
 

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वहीं गौरी की मां मीनाक्षी ने बताया कि बाल पुरस्कार मिलना अजमेर ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व की बात है। आज हमारी बेटी के भारत ही नहीं यूएसए, यूके, लंदन, नाइजीरिया और जर्मनी में भी उनके कई स्टूडेंट हैं, जिनको वे ऑनलाइन क्लासेस देती हैं। उनकी ऑनलाइन क्लासेस में 6 से लेकर 65 साल तक के स्टूडेंट शामिल हैं। 

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