जोहड़ नहीं तो जाव में खोदी मिट्टी
जिस तरह से देश में जनसंख्या बढ़ती जा रही है जिसके कारण कई रीति रिवाज जगह की कमी के कारण खत्म होने की कगार पर है। दोनो गांव की ये परंपरा भी अब बढ़ती आबादी का शिकार हो रही है। जिसके चलते गांव में अब जोहड़ भूमि नहीं बची है। लोग उनमें भी अब घर बना कर रहने लगे है। पर परंपरा का पालन करना था, लिहाजा सोमवार को अमावस पर ग्रामीणों ने इस बार सरकारी स्कूल के जाव में मिट्टी की खुदाई कर इस परंपरा का पालन किया।
तारपुरा की सरपंच संतरा देवी का कहना है- कोलीड़ा और तारपुरा गांव में जल संरक्षण के लिए अमावस पर जोहड़ खोदने की प्राचीन परंपरा है। जिसमें हर परिवार का कम से कम एक सदस्य सात परात मिट्टी की खुदाई करता है। इस बार भले ही जोहड़ के लिए जगह नहीं मिली फिर भी परंपरा को निभाने के लिए स्कूल की जमीन चुन कर कार्यक्रम किया गया।