सीकर, राजस्थान. देश की रक्षा-सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले जाबांजों की जिंदगी आम आदमी से भी कठिन होती है। बेशक किसी को यह मालूम नहीं रहता कि अगले पल क्या होने वाला है, लेकिन एक फौजी के लिए यह आशंका सबसे ज्यादा रहती है। जम्मू-कश्मीर के सोपोर में बुधवार को आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए सीकर के 39 वर्षीय जाबांज दीपचंद 11 जुलाई से छुट्टी पर गांव में रहने वाली अपनी बूढ़ी मां से मिलने आ रहे थे। इनके पिता का तीन साल पहले बीमार के चलते निधन हो गया था। तब से मां अकेली थी। मां किसी पर बोझ नहीं बनी। वो आज भी मजदूरी करती है। दीपचंद्र सीआरपीएफ की 179 बटालियन में हेड कांस्टेबल थे। उनका 6 महीने पहले ही उनका प्रमोशन हुआ था। बता दें इस आतंकी हमले में एक आम नागरिक की भी मौत हो गई थी। फोटो में दिखाई दे रहे शख्स को गोलियां लगी थीं। आगे पढ़िए शहीद की कहानी...