कोरोना की सबसे छोटी मरीज ने मौत को दी मात, डॉक्टर बोले बच्ची का इलाज करते वक्त हमारे हाथ कांपते थे
जयपुर. कोरोना वायरस से रोज देश में कहीं ना कहीं मौत हो रही हैं। पूर दुनिया में अभी तक इस महामारी से निपटने के लिए कोई दवा नहीं बनी है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह बीमारी लाइलाज है। देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां संक्रमित लोग ठीक होकर घर लौटने लगे हैं। जितने भी मरीज अभी तक सही हुए हैं उनका यही कहना है कि आपकी हिम्मत और हौंसला ही इस पर जीत दिला सकता है। इसलिए धीरज नहीं खोनी चाहिए। बस सही वक्त पर इसकी पहचान हो जाए। ऐसा एक हैरतंगेज मामला राजस्थान में सामने आया है। जहां एक महज ढाई महीने की बच्ची सही होने के बाद घर लौटी है।
Asianet News Hindi | Published : Apr 6, 2020 1:09 PM IST / Updated: Apr 06 2020, 07:06 PM IST
दरअसल, इस नवजात की कोरोना पॉजिटिव होने के 18 दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई है। बता दें कि कुछ दिन पहले झुंझुनूं के रहने वाले पति-पत्नी बच्चे के साथ इटली गए थे। इस दौरान वहीं इस दंपती के साथ-साथ यह बच्ची भी कोरोनावायरस की चपेट में आ गई थी। लौटने के बाद इन तीनों का जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज शुरू हो गया। लेकिन जब यहां के डॉक्टरों ने इम मासूम को देखा तो उनको कलेजा कांप गया। डॉक्टरो का कहना है कि इतनी छोटी बच्ची का इलाज करना बहुती ही मुश्किल था। मासूम के चेहरे पर मुस्कान देखकर एक तरफ जहां हमको सुकून मिलता था तो वहीं दुख भी होता था।
अस्पताल के डॉक्टर असरार अहमद और डॉ. प्रह्लाद धाकड़ ने मीडिया से बात करते कहा-जब मासूम के पास हमारी नर्सें पीपीई किट पहनकर जाती तो वह डर के मारे रोने लगती थी। उस को तेज बुखार और सांस में काफी परेशानी हो रहीं थी। वो इतनी छोटी थी कि कह बयां भी नहीं कर पाती थी। सिर्फ दर्द के मारे चीखती रहती थी। उसको देखकर हमारी आंखें भी नम हो जाती थीं। बच्ची के पास में उसके माता-पिता भर्ती थे। उसका दर्द वह सुन और अहसास कर सकते थे। हम भी कभी-कभी सोचते कि इस मासूम को गोद में उठाकर उसके थपथपा दें। लेकिन क्या करें, चाहकर भी हम ऐसा नहीं कर पाए। बस यही दर्द हमारे स्टाफ को हमेशा रहेगा।
ऐसी एक अच्छी खबर हरियाण के हिसार से सामने आई है। जहां 30 मार्च को अस्पताल में भर्ती हुई 59 वर्षीय कोरोना मरीज बिमला सोमवार को ठीक होकर अपने घर पहुंच गई। लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। बिमला की दूसरी व तीसरी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। बता दें कि वह अमेरिका के बोस्टन में अपने बेटे व बहू से मिलने के बाद 17 मार्च को भारत लौटी थी महिला। जिस दौरान उनकी जांच करने पर उनमें करोना के लक्षण मिले थे।
इंदौर में बढ़ते पॉजिटिव की संख्या के बीच सोमवार को एक अच्छी खबर आई है। 8 दिन पहले संक्रमित हुए 47 वर्षीय मेल नर्स राजेश असावरा ने कोरोना से जंग जीत ली। उनकी दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आई है। जहां डॉक्टरों ने उनको मनोरमा राजे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है। राजेश जब स्वस्थ होकर घर के लिए निकले तो लोगों ने ताली बजाकर उनका वेलकम किया। बता दें कि राजेश शहर के एमवायएच में कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज के दौरान वे संक्रमित हुए थे। जहां 26 मार्च वह अस्पताल में भर्ती हो गए थे।
रविवार को रायपुर के 4 संक्रमित ठीक होकर घर लौट गए। इनका इलाज यहां एम्स में चल रहा था। 18 मार्च को लंदन से लौटने वाले रायपुर के युवक ने बताया कि 27 मार्च को मेरा टेस्ट किया हुआ था। 28 को मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। मुझे एम्स भर्ती कर दिया गया। घरवाले डर गए थे, लेकिन मैंने किसी तरह का हौसला नहीं खोया। घर वालों को भी समझा रखा था कि मैं ठीक होकर लौटूंगा, 7 दिन में यह साकार भी हुआ।