सबकी किस्मत ऐसी नहीं: किसान की इस बेटी को एक नहीं 9 सरकारी नौकरी मिली, सभी ठुकरा दीं..सिर्फ एक चाहत


सीकर (राजस्थान). आज हर युवा की पहली ख्वाहिश होती है कि उसे सरकारी नौकरी मिले। लेकिन, भारत मे गवर्नमेंट जॉब मिलना बहुत कठिन है। अगर आपके अंदर उसे पाने की योग्यता और मेहनत करने का जज्बा है तो आप कई एग्जाम पास कर सकते हैं। कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है राजस्थान के एक किसान की बेटी ने। जिसकी महज 26 की उम्र में एक नहीं बल्कि  9 बार सरकारी नौकरी लग चुकी है। इतना ही नहीं वो पांच साल में 7 बार तो इन नौकरियों को छोड़ चुकी है। अब वो 2021 में आठवीं बार जॉब छोड़ने जा रही है। आइए जानते हैं इस होनहार बेटी के बारे में, जो युवाओं के लिए मिसाल बन गई है।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 2, 2021 11:38 AM IST / Updated: Feb 02 2021, 05:09 PM IST
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सबकी किस्मत ऐसी नहीं: किसान की इस बेटी को एक नहीं 9 सरकारी नौकरी मिली, सभी ठुकरा दीं..सिर्फ एक चाहत


जज्बा और लक्ष्य के प्रति समर्पण की प्रतीक इस बेटी का नाम प्रमिला नेहरा है। जिसके माता पिता रामकुमार नेहरा व मनकोरी देवी हैं। प्रमिला मूल रूप से सीकर जिले के एक छोटे से गांव सिहोट की रहने वाली है। पिता किसान व मां हाउसवाइफ हैं। भाई महेश नेहरा पुलिस में सिपाही के तौर पर चूरू में अपनी सेवाएं दे रहा है।

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बता दें कि प्रमिला अब तक 9 बार सरकारी जॉब के लिए एग्जाम दे चुकी है। व्याख्याता भर्ती परीक्षा से लेकर पटवारी, ग्रामसेवक, महिला पर्यवेक्षक, पुलिस कांस्टेबल, एलडीसी की परीक्षा पास कर चुकी है। लेकिन उसने सभी को छोड़ दिया, फिलहाल वह  नागौर जिले के एक सरकारी स्कूल में बतौर सीनियर टीचर के रुप में बच्चों को पढ़ाती है।

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सबसे खास बात यह है कि प्रमिला नेहरा ने ये सभी परीक्षाएं शादी के बाद कड़ी मेहनत करके पास की हैं। प्रमिला की शादी सीकर जिले के गांव बोदलासी के राजेंद्र प्रसाद रणवा के साथ हुई है। राजेंद्र फिलहाल दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल है।

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प्रमिला ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित व्याख्याता भर्ती में प्रथम श्रेणी शिक्षक परीक्षा में पास करते हुए पूरे राज्य में नौवी रैंक हासिल की है। अपनी सफलता की कहानी बताते हुए प्रमिला ने मीडिया को बताया कि उसे इस मुकाम तक पहुंचने के बाद बहुत संघर्ष करना पड़ा है। ससुराल में रहते हुए पढ़ाई करना बहुत कठिन काम है। हालांकि मेरे ससुराल वालों और मेरे पति ने मुझे पूरा सपोर्ट किया है। वहीं दूसरी बात मैंने इन एग्जाम के दौरान ना तो कभी सोशल मीडिया का यूज किया  और ना ही घर में टीवी देखी। इतना ही नहीं  प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान तो में कीपैड वाले मोबाइल का उपयोग करती थी।

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अपनी सफलता के राज पर उन्होंने बताया कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं का सैलेबस लगभग एक जैसा ही है। सिर्फ आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप उसको कितना समझ पाते हो। किसी भी टॉपिक को रटने की जरुरत नहीं होती, मैं अपने सबसेक्ट को एक बार अच्छे से समझती हूं फिर उसे दो से तीन बार रिपीट करके पढ़ती हूं। कभी भी कोई रट्टा नहीं मारती, क्योंकि रट्टा मारा हुआ लोग जल्दी भूल जाते हैं। टॉपिक समझ लेने का फायदा यह होता है कि परीक्षा में चाहे कैसे भी घूमा फिराकर सवाल आए। कोई दिक्कत नहीं होती है। 

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प्रमिला ने बताया कि मेरी पहली सरकारी नौकरी साल 2015 थर्ड ग्रेड टीचर के रूप में मिली थी, जिसे में कुछ समय के लिए ज्वाइन किया। इसके  पटवारी, ग्राम सेवक, एलडीसी व महिला सुपरवाइजर की परीक्षा पास कर ली। किसी को दो महीने दो किसी को तीन महीने किया। फिर साल पिछले साल 2020 में राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित व्याख्याता भर्ती में प्रथम श्रेणी शिक्षक परीक्षा में पास किया। तभी से लेकर मैं यह नौकरी कर रही हूं। लेकिन मैं जल्द इसको छोड़ने वाली हूं। क्योंकि मेरा लक्ष्य आरएएस व यूपीएससी परीक्षा क्रैक करना है।
 

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प्रेमिला की मिल चुकी हैं ये सरकारी नौकरी
1. एसएससी जीडी

2. राजस्थान पुलिस

3. महिला सुपरवाइजर

4. एलडीसी

5. ग्राम सेवक

6. पटवारी

7. थर्ड ग्रेड टीचर

8. वरिष्ठ शिक्षिका

9 . फर्स्ट ग्रेड टीचर (वर्तमान में वह इसी नौकरी को कर रही हैं।) इसके अलावा प्रमिला राज्य की सीटेट और दो बार आरएएस प्री भी पास कर चुकी हैं।

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