बॉलीवुड की वह साजिश, जिसके चलते साउथ के इस सुपरस्टार को छोड़नी पड़ी थी इंडस्ट्री

एंटरटेनमेंट डेस्क. साउथ इंडियन फिल्मों के सुपरस्टार कमल हासन (Kamal Haasan) अपनी हालिया रिलीज फिल्म 'विक्रम'(Vikram) को लेकर लगातार चर्चा में हैं। पहले इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस (Box office) पर वर्ल्डवाइड 400 करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन किया और अब OTT प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर पहले वीकेंड अब तक की सबसे ज्यादा देखी गई फिल्म बन गई है। वैसे एक समय था, जब कमल हासन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी कमाल कर रहे थे। लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वे इस फिल्म इंडस्ट्री से दूर हो गए। कई रिपोर्ट्स में इसे लेकर बॉलीवुड स्टार्स की ओर से साजिश का दावा किया जाता गई। आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि कमल हासन को बॉलीवुड से दूरी बनानी पड़ी...

Gagan Gurjar | Published : Jul 13, 2022 5:03 PM IST / Updated: Jul 14 2022, 10:25 AM IST

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बॉलीवुड की वह साजिश, जिसके चलते साउथ के इस सुपरस्टार को छोड़नी पड़ी थी इंडस्ट्री

कमल हासन की पहली हिंदी फिल्म 1977 में आई 'आइना' थी, जिसमें उन्हें क्रेडिट नहीं दिया गया था। हालांकि, उन्हें पहचान 1981 में रिलीज हुई 'एक-दूजे के लिए' से मिली थी। 

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80 के दशक में कमल हासन ने 'सनम तेरी कसम', 'ये तो कमाल हो गया', 'ज़रा सी जिंदगी', 'सदमा', 'एक नई पहेली', 'यादगार', 'करिश्मा', 'सागर', 'गिरफ्तार' और 'देखा प्यार तुम्हारा' फिल्मों में काम किया। लेकिन 1986 में आई 'देखा प्यार तुम्हारा' के बाद कमल हासन अचानक हिंदी फिल्मों से गायब हो गए।

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उस वक्त की कई रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जाता है कि हिंदी फिल्मों के बड़े एक्टर्स को यह रास नहीं आ रहा था कि एक मद्रासी अभिनेता हिंदी फ़िल्म एक्टर्स पर भारी पड़ रहा है। खासकर जब ऋषि कपूर (फिल्म बॉबी के लिए) की बजाय कमल हासन (सागर के लिए) को फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिल गया।

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बताया जाता है कि इसके बाद लोगों ने गंदी राजनीति खेलनी शुरू की। उन्हें ताने मारे गए और उनका मजाक उड़ाया गया। यहां तक कि हिंदी फिल्मों के प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर से बात कर कमल हासन को गुपचुप तरीके से बैन करा दिया गया। उन्हें फ़िल्में मिलनी बंद हो गईं और वे साउथ इंडियन सिनेमा में वापस लौट गए।

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करीब 11 साल बाद उन्होंने फिल्म 'चाची 420' से हिंदी फिल्मों में वापसी की थी, जो लोगों खूब पसंद आई थी। हालांकि, सफल वापसी के बाद भी वे हिंदी फिल्मों में सतत रूप से सक्रिय नहीं रहे। उन्होंने बाद में 'हे राम', 'अभय', 'मुंबई एक्सप्रेस' 'विश्वरूप' और 'विश्वरूप 2' में ही काम किया। इनमें से भी  तीन फ़िल्में तमिल के साथ हिंदी में बनाई गई थी।

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कमल हासन ने एक बार अपने मुंबई वाले दिनों को याद करते हुए कहा था, "वह ज़माना ऐसा ही था। मैं हिंदी सिनेमा का सबसे गरीब कजिन था। मैं अपने कपड़े धोने और इस तरह के बाकी काम खुद करता था। वे बिगड़ैल और अमीर थे। वे एक बार में 6 फ़िल्में करते थे और मैं हारा हुआ महसूस करता था। यह एक कारण था। वहां बहुत सारे अंडरवर्ल्ड कनेक्शन थे। मैं इसका विरोध करने या उनकी धमकी के आगे झुकने के लिए वहां नहीं रुकना चाहता था। मैं उन अभिनेताओं में से एक था, जिसने तय किया था कि उसे ब्लैक मनी से कोई लेना-देना नहीं होगा। मैं काफी खुश हूं। मैं कार में चलता था। यह संभव था। पहले भी किसी ने किया था। कैमरामैन विन्सेंट, उन्होंने कभी काले धन को नहीं छुआ। इससे पहले कि सरकार काला धन न रखने के लिए धमकी देती, मैंने निर्णय ले लिया।"

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2018 में जब एक बातचीत में कमल हासन से हिंदी फिल्मों में काम न करने की वजह पूछी गई थी तो उन्होंने कहा था, "अनुशासनहीनता के कारण। उन्हें एक फिल्म बनाने में तीन साल लगते हैं और मेरी उम्र छोटी है। हिंदी सिनेमा के लिए बड़ी डील हो सकती है, लेकिन एक्टर्स की जिंदगी छोटी छोटी होती है।" उन्होंने आगे कहा था, "अब अनुशासन है, जो पहले नहीं था। यह इंडस्ट्री में आ रहा है। लेकिन अभी भी सुधार की गुंजाइश है।"

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