मां-बेटे की इमोशनल स्टोरी, मां को खोजते-खोजते सात समुंदर पार पहुंच गया बेटा, 41 साल बाद खिला चेहरा

मां और बेटे का रिश्ता काफी इमोशनल होता है। वैसे तो भारत में हर रिश्ते को सम्मान की नजरों से देखा जाता है, लेकिन मां और बच्चे के रिश्ते को ज्यादा तवज्जो दिया जाता है। दरअसल, ये सारी बातें हम मदर्स डे के मौके पर कर रहे हैं। 9 मई को देशभर में मदर्स डे मनाया जाता है। इस खास मौके पर आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं, जो कि एक बिजनेसमैन की है। उसे अपनी खोई हुई मां 41 साल के बाद मिलती है। आइए जानते हैं उस स्टोरी के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : May 8, 2021 9:53 AM IST

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मां-बेटे की इमोशनल स्टोरी, मां को खोजते-खोजते सात समुंदर पार पहुंच गया बेटा, 41 साल बाद खिला चेहरा

क्या है डेविड के असली माता-पिता का नाम? 

दरअसल, रिपोर्ट्स की मानें तो उसमें चेन्नई कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड के हवाले से बताया जाता है कि डेविड का जन्म 3 अगस्त, 1976 को हुआ था और उनके माता-पिता का नाम धनलक्ष्मी और कालियामूर्ति है। डेविड की मां धनलक्ष्मी मनाली में लोगों के घरों में काम किया करती थीं और वो यहां अपने छोटे बेटे सरवनन के साथ रहती हैं।  

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बचपन में मां के साथ पल्लवरम के चाइल्ड होम में रहते थे डेविड 

बताया जाता है कि डेविड के माता-पिता बहुत गरीब थे, इसलिए उन्होंने अपने 2 बेटों को पल्लवरम के चाइल्ड होम में दे दिया और वो खुद भी वहीं रहने लगी थीं। 

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डेविड की मां को नहीं थी बच्चों के गोद लेने की भनक  

एक दिन वहां के प्रशासन ने धनलक्ष्मी को चाइल्ड होम छोड़ने के लिए कहा और वो जाने से पहले अपने बच्चों को लेने गईं तो उन्हें बताया गया कि उनके बच्चों गोद ले लिया गया है।   

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मां के बाद डेविड को बड़े भाई के बारे में भी मिली थी जानकारी 

लेकिन, धनलक्ष्मी को प्रशासन द्वारा भरोसा दिलाया गया था कि डेनमार्क में उनके बच्चों को अच्छी परवरिश मिलेगी। वहीं, डेविड ने जब अपनी मां को खोज लिया था तो उन्हें अपने बड़े भाई रंजन के बारे में भी जानकारी मिली। रंजन को भी डेनमार्क के एक परिवार ने भी गोद लिया था और उसका नाम मार्टिन मैनुअल रासमुसेन है।  

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41 साल बाद अपनी सगी मां से मिले थे डेविड 

डेनमार्क के रहने वाले डेविड नील्सन 41 साल बाद अपनी जन्म देने वाली मां से मिले। वो अपनी मां से मिलने सात समुंदर पार डेनमार्क से भारत आए थे। 6 सालों की कड़ी मशक्कत के बाद डेविड अपनी मां को ढूंढ पाने में सफल हुए हैं। मां-बेटे की ये स्टारी काफी इमोशनल कर देने वाली है। क्योंकि आज के इस दौर में लोग पैसे के आगे अपने मां-बाप को भूल जाते हैं। 
 

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2 साल की उम्र में डेविड को डेनमार्क की फैमिली ने लिया था गोद 

रिपोर्ट्स की मानें तो कहा जाता है कि डेविड अपनी मां के साथ तमिलनाडु के पल्लावरम में एक चाइल्ड होम में रहा करते थे। जब वो दो साल के थे तो उन्हें डेनमार्क के एक दंपत्ति ने गोद ले लिया था और इस बात की भनक उनकी मां तक को नहीं लगी थी।  

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डेनमार्क के सफल बिजनेसमैन में से एक हैं डेविड 

अब डेविड की उम्र लगभग 45 साल हो चुकी है और वो डेनमार्क के सफल बिजनेसमैन में से एक हैं। वहां पर वो एक बॉन्ड ट्रेडर हैं। उन्होंने एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो की मदद से अपनी बरसों पहले बिछड़ी मां को खोज निकाला था। 
 

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क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे? 

अगर बात की जाए अंतर्राष्ट्रीय मदर्स डे के मनाने के पीछे की वजह के बारे में तो इसकी शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वो भी साल 1912 में जब एना जार्विस नाम की अमेरिकी कार्यकर्ता ने अपनी मां के निधन के बाद इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी। हालांकि, मदर्स डे को मनाने की तारीख को लेकर किसी की भी एक राय नहीं है। 

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हर जगह अलग-अलग तारीख है तय 

भारत में इसे मई के दूसरे संडे के दिन मनाया जाता है, जो इस बार 9 मई को होगा। वहीं, बोलीविया में इसे 27 मई को मनाया जाता है। यहां मदर्स डे इसलिए 27 मई को मनाया जाता है क्योंकि आजादी की लड़ाई में हिस्सा ले रहीं बोलीविया की महिलाओं की हत्या स्पेन की सेना ने इसी तारीख को की थी। 

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