2 साल तक के बच्चों में कोरोना और साधारण सर्दी-खांसी में कैसे फर्क करें? जानें संक्रमण से जुड़े सवालों के जवाब

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। पहली लहर में बच्चों के संक्रमण की संख्या कम थी। नवजात से लेकर 2 साल तक बच्चों के माता-पिता बहुत ज्यादा डरे हुए हैं। उनके मन में कई सवाल भी हैं, जैसे- कोरोना और साधारण सर्दी-खांसी में कैसे फर्क करें? बच्चों में कोरोना के क्या लक्षण हैं? संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए?

Vikas Kumar | Published : May 19, 2021 9:13 AM IST / Updated: Jun 02 2021, 01:08 AM IST
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2 साल तक के बच्चों में कोरोना और साधारण सर्दी-खांसी में कैसे फर्क करें? जानें संक्रमण से जुड़े सवालों के जवाब

माता-पिता के सवालों के जवाब जानने के लिए Asianet News Hindi ने Pediatrician Dr Deepak Pandey से बात की और बच्चों में कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। डॉक्टर दीपक पांडेय यूपी के आजमगढ़ जिले में कोरोना के नोडल अधिकारी भी हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कोरोना से डरने की बजाय जागरूक रहने की जरूरत है।

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सवाल- नवजात से लेकर 2 साल तक के बच्चों को कोरोना से कितना खतरा है?
जवाब-
कोरोना की पहली लहर में 12 साल से बड़े बच्चों में संक्रमण हो रहा था। लेकिन 12 साल से छोटे बच्चों में संक्रमण नहीं हो रहा था। लेकिन इस बार बच्चों में संक्रमण ज्यादा है। बच्चे साइलेंट कैरियर भी होते हैं और माइल्ड सिमटम की तरह प्रजेंट करते हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 

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सवाल- क्या कोरोना में बच्चों को बहुत ज्यादा खतरा है?
जवाब-
बच्चों में संक्रमण जो रिस्क है वह बहुत कम है। ये बच्चों में डायरिया की तरह प्रजेंट कर रहा है। कुछ बच्चों को सांस की भी दिक्कत हो रही है लेकिन अधिकतर में डायरिया और बुखार जैसे लक्षण दिख रहे हैं। 

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सवाल- साधारण सर्दी-खांसी-बुखार और कोरोना के सर्दी-खांसी-बुखार में कैसे फर्क करें?
जवाब-
कोरोना के सर्दी-बुखार में नेजल कम्पोनेंट थोड़ा कम होता है। थ्रोट का कम्पोनेंट ज्यादा होता है। यानी आसान भाषा में नाक बहना। ये कोरोना में बहुत कम होता है। लेकिन नाक से नीचे के भाग को ज्यादा प्रभावित करता है। अगर किसी बच्चे को सर्दी है और उसकी नाक बह रही है तो कोरोना होने की संभावना थोड़ी कम है। अगर नाक नहीं बह रही है तो संभावना बढ़ जाती है। कोरोना में फीवर थोड़ा हाई ग्रेड का आता है। नॉर्मल फ्लू में फीवर थोड़ा कम होता है। दूसरा की पैरासिटामोल से बुखार उतरा तो है लेकिन जल्दी रिस्पॉन्स नहीं करता है। एक दिन से लेकर डेढ़ साल के बच्चों में कोरोना संक्रमण होने पर शरीर में दर्द बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में बच्चे बता तो नहीं पाते हैं लेकिन रोते बहुत हैं।

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सवाल- 2 साल तक बच्चों में कोरोना के क्या लक्षण होते हैं?
जवाब-
ऐसी सर्दी जिसमें नाक न बह रही हो, बुखार बहुत तेज हो, बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो, लूज मोशन हो। ऐसे लक्षण हो तो कोविड की संभावना होती है। लेकिन इसके साथ में बच्चे की फैमिली हिस्ट्री भी लेनी पड़ती है कि उसके घर में किसी को कोरोना संक्रमण तो नहीं हुआ है। 

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सवाल- अगर कोरोना के कोई भी लक्षण दिखते हैं तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें या टेस्ट कराए?
जवाब-
अभी मौसम ऐसा चल रहा है कि कुछ लक्षण अधिकतर बच्चों में दिखता है। ऐसे में पहले डॉक्टर के पास जाना चाहिए। एक क्लियर कट हिस्ट्री होनी चाहिए कि घर में पहले किसी को कोरोना न हुआ हो। 

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सवाल- क्या कोरोना संक्रमित बच्चे को बहुत ज्यादा दवाइयां लेनी पड़ सकती है? इतनी दवाइयां देना ठीक है?
जवाब-
बच्चों को ज्यादा दवाइयों की जरूरत नहीं होती है। बच्चों के साथ एक अच्छी बात है कि उनमें जानलेवा खतरा नहीं है। बच्चों में गंभीर रूप से कोरोना नहीं हो रहा है। वे कोरोना फैलाने का काम कर रहे हैं। जैसे किसी बड़े को कोरोना हुआ तो वो एक कमरे में आइसोलेट हो जाएगा, लेकिन किसी बच्चे को हुआ तो वो आइसोलेट हो भी नहीं सकता है और माता पिता भी आइसोलेट नहीं होने देंगे। ऐसे में किसी बच्चे को कोरोना हो गया तो उसके मां-पिता को भी होना ही है। बड़ों में 6-7 दवाइयों की किट होती है लेकिन बच्चों में इतनी नहीं होती हैं। बुखार है तो बुखार की दवा दे देते हैं सर्दी है तो सर्दी की दवा।  

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सवाल- बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए अभिभावकों को क्या-क्या करना चाहिए?
जवाब-
बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए मां-पिता को बचना पड़ेगा। अगर घर में कोरोना आया तो बच्चे अछूते नहीं रहेंगे। बच्चों को बचाना है तो मां-पिता को खुद बचना होगा।

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सवाल- बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए खाने-पीने में क्या बदलाव कर सकते हैं?
जवाब-
बच्चे बड़े चूजी होते हैं। अपने हिसाब से ही खाते हैं। हां इम्यून चीजों को बढ़ाने के लिए कुछ दिया जा सकता है। जैसे- फ्रूट का जूस, दाल का पानी, कुछ आयरन के सोर्स।

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सवाल- बच्चों का भी ऑक्सीजन लेवल चेक करना चाहिए
जवाब-
 बच्चों के लिए छोटा ऑक्सीजन मीटर आता है। जो बड़ों का रेंज है वही बच्चों का भी। यानी बच्चों में भी ऑक्सीजन 95 से ज्यादा होनी चाहिए। हमारी भगवान से प्रार्थना है कि कोरोना का संक्रमण जल्दी थम जाए। लेकिन भगवान भी उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं। अगर हमारा समाज जागरूक नहीं होगा तो कोरोना पर काबू पाना ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। माता-पिता खुद बचें, बच्चे को बचाए और समाज को भी बचाए।

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