किसी को गोली मारी, दुपट्टे से गला घोंटा और हाथ की नस काट दी, तालिबान ने हजारा के 9 लोगों को दी खौफनाक मौत

काबुल. तालिबान। खौफ, दहशत, किलिंग रोबाट। इसके बहुत से नाम हैं। ये अफगानिस्तान में दोबारा लौट आया है। इस बार नागरिकों की सुरक्षा की बात कर रहा है। लेकिन हकीकत में पहले से ज्यादा खौफनाक बनकर लौटा है। एमनेस्टी इंटरनेशन के मुताबिक, तालिबान ने पिछले कुछ दिनों में 9 हजारा पुरुष-महिलाओं को यातनाएं देकर बुरी मौत दी। ये भयावह संकेत है कि आने वाले वक्त में तालिबान के शासन में अफगानिस्तान की हालत किसी नर्क से कम नहीं होगी। 9 लोगों को खौफनाक तरीके से दी मौत...
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 20, 2021 8:51 AM IST / Updated: Aug 20 2021, 02:55 PM IST

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किसी को गोली मारी, दुपट्टे से गला घोंटा और हाथ की नस काट दी, तालिबान ने हजारा के 9 लोगों को दी खौफनाक मौत

किसी को गोली मारी, दुपट्टे से गला घोंटा और हाथ की नस काट दी 
तालिबान ने जिन 9 लोगों की हत्या की उसमें 6 लोगों को गोली मार दी। 3 को यातनाएं दी गईं, जिनमें एक व्यक्ति भी शामिल था, जिसे उसके ही दुपट्टे से गला घोंट दिया गया था। उसके हाथों की नसों को काट दिया गया।
 

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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि तालिबान लड़ाकों ने पिछले महीने अफगानिस्तान के गजनी प्रांत पर कब्जा करने के बाद नौ हजारा लोगों की हत्या कर दी थी। मलिस्तान जिले के मुंडारख्त गांव में 4 से 6 जुलाई के बीच मौत का तांडव हुआ। 
 

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ह्यूमन राइट चैरिटी के रिसर्चर्स ने कहा, एक व्यक्ति को उसके ही दुपट्टे से गला घोंट दिया गया था और उसकी बांह की नसों को काट दिया गया। जबकि दूसरे के पैर और हाथ को मारकर तोड़ दिया। उसके बाल तक खींच लिए। हजारा अफगानिस्तान के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यकों में से एक हैं। पहले के शासन में भी तालिबान ने इनके साथ सबसे ज्यादा क्रूरता की थी। 
 

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कई जगहों पर मोबाइल सर्विस बंद कर दी गई है
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि ये हत्याएं तो सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण हैं। अभी तालिबान ने कब्जा किया है। कई क्षेत्रों में मोबाइल फोन सर्विस काट दी गई है। 
 

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चश्मदीदों ने बताया, तालिबान ने कैसे की हत्या? 
हत्याओं के बारे में गांव के लोगों ने बताया, तालिबान के डर से लोग गांव छोड़कर पहाड़ों पर भाग गए। वहां करीब 30 परिवार थे। लेकिन उनके लिए पर्याप्त खाना नहीं था। ऐसे में 9 लोग वहां से खाना लेने के लिए वापस गांव लौट आए थे। इसमें 5 पुरुष और 4 महिलाएं थी। 
 

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हाथ-पैर तोड़ दिए, बाल उखाड़ लिए, फिर मारी गोली
चश्मदीद ने बताया कि 45 साल के वहीद करमान को उसके घर से ले जाया गया और उसके पैर और हाथ तोड़ दिए गए। उसके बाल खींचे गए। उसके चेहरे पर कई बार मारा गया। फिर आखिर में उसे गोली मार दी गई। 
 

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जेब में पैसे मिले तो उन्हें लगा सरकारी आदमी है
जफर रहीमी की मौत तो और भी चौंकाने वाली है। तालिबान ने चेक किया तो उसकी जेब से कुछ पैसे मिले। तालिबानियों को लगा कि वह अफगान सरकार के साथ काम करता है। इसके बाद उसे उसके ही दुपट्टे से गला घोंटकर मार दिया गया। उसे दफनाने वाले तीन लोगों ने बताया कि उसके शरीर पर चोट के निशान थे और उसकी बांह की नस काट दी गई थी।
 

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राइफल की बट से पीटा, हाथ बांधकर 4 गोली मारी, नाले में फेंकी लाश
40 साल के सैयद अब्दुल हकीम को लाठी और राइफल की बटों से पीटा गया। उसके हाथ बंधे हुए थे। तालिबान लड़ाकों ने उसे चार बार गोली मारी। इसके बाद बॉडी को एक नाले में फेंक दिया। 
 

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तालिबान ने कहा- युद्ध में हर कोई मारा जाता है
एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक चश्मदीद ने बताया कि हमने तालिबान से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? तब उन्होंने बताया कि जब लड़ाई का समय होता है, तो हर कोई मर जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास बंदूकें हैं या नहीं। 

तालिबान ने तीन अन्य लोगों अली जान टाटा, जिया फकीर शाह गुलाम रसूल रजा को घात लगाकर मारा। चश्मदीदों के मुताबिक, जिया फकीर शाह का सीना गोलियों से इतना छलनी हो गया कि पहचानना भी मुश्किल था।  

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