भोपाल. प्रसिद्ध कवि भवानी प्रसाद मिश्रा की कविता 'सतपुड़ा के घने जंगल, नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल!' को आपने सुना ही होगा, लेकिन जिन्होंने इस जंगल को करीब से देखा है, वे कभी नहीं भूल सकते। सतपुड़ा के इन्हीं दुर्गम-ऊंचे-नीचे पहाड़ और डरावने जंगलों से होकर जाता है नागलोक का रास्ता। हालांकि नागलोक तक पहुंचना आसान नहीं होता। जिनका 'जिगरा' बड़ा होता है, वे ही सहां पहुंचने का जोखिम उठा पाते हैं। रास्ता सिर्फ जानलेवा भर नहीं है, जंगल में शेर-तेंदुए, सांप आदि जानवरों का भी भय बना रहता है। नागलोक यानी नागद्वारी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां नागपंचमीं पर भव्य मेला लगता है। इस बार यह मेला 23 जुलाई से 3 अगस्त तक चल रहा है। नागद्वारी मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में हैं। यहां साल में सिर्फ नागपंचमीं के अलावा कुछ अन्य दिनों में ही जाने की परमिशन मिलती है। किवदंती है कि यहां भीम को हाथियों जैसा बल मिला था। जानिए क्यों खास है नागद्व़ारी...