सुंदरता बरकरार रखने के लिए क्लियोपेट्रा नहाती थी इस दूध से, भारत में कीमत है करीब 7000 रुपए प्रति लीटर

नई दिल्ली। World Milk Day 2022: वर्ल्ड मिल्क डे (World Milk Day) पर आज बात करेंगे मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा (cleopatra) की। दावा किया जाता है कि इन्हें अब तक की सबसे खूबसूरत महारानी का दर्जा हासिल है। खूबसूरती और अदाओं की वजह से ये तमाम राजा-महाराजाओं को अपने वश में कर लेती थीं। खूबसूरती हासिल करने और उसे बरकार रखने के लिए ये तरह-तरह के जतन किया करती थीं। ऐसे-ऐसे हथकंडे अपनाती थीं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बहरहाल, किसी भी वजह से ये सुंदर तो बन ही गई थीं। आइए वर्ल्ड मिल्क डे पर जानते हैं गधी के दूध की अहमियत और क्लियोपेट्रा की खूबसूरती में इसका प्रभाव। 

Asianet News Hindi | Published : May 31, 2022 5:59 AM IST
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सुंदरता बरकरार रखने के लिए क्लियोपेट्रा नहाती थी इस दूध से, भारत में कीमत है करीब 7000 रुपए प्रति लीटर

मिस्र की यह महारानी क्लियोपेट्रा जितनी खूबसूरत थी उतनी ही खतरनाक। सुदंरता हासिल करने के लिए यह गधी के दूध से नहाती थी। उससे पहले यह अपने शरीर पर मगरमच्छ के मल को सूखाकर उसका लेप लगताी थी। 

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क्लियोपेट्रा ने 51 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक मिस्र पर राज किया। वह दुनिया की सबसे सुंदर और अमीर महिला के तौर पर मशहूर थी। इतिहास में उसका नाम रहस्यमयी शख्सियत के तौर पर दर्ज है। 

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क्लियोपेट्रा सुंदरता के साथ-साथ बुद्धिमान और बेहद चालाक भी थी। उसे दुनिया की अकेली महिला शासक कहा जाताा है। वह अपनी राजनीतिक और कूटनीतिक चालों से बड़े-बड़े राजाओं को परास्त कर देती। 

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वह मिस्र पर शासन करने वाली आखिरी फराओ थी। उसका साम्राज्य दूर-दूर तक फैला था। अपनी चमकती-दमकती खूबसूरत और नरम त्वचा के लिए वह रोज 700 गधी का दूध मंगाती और उससे स्नान करती। 

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हालांकि, इस बात का स्प्ष्ट उल्लेख नहीं मिलता कि वह मूल रूप से कहां की थी। तमाम इतिहासकारों के विचार इस पर बंटे हुए हैं। वैसे कुछ इतिहासकार उसे अफ्रीकी मूल का बताते हैं तो कुछ उसे रोम से। क्लियोपेट्रा ने खुद को मिस्र की महारानी के तौर पर स्थापित किया। 

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कहा जाता है कि क्लियोपेट्रा की त्वचा पर लाल चकत्ते थे। चेहरे पर बहुत सी झुर्रियां और झाइयां थीं। इसे दूर करने के लिए वह रोज पानी जगह गधी के दूध से नहाती थी। उसके लिए 700 गधी के दूध का इंतजाम किया जाता था। 

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वैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय या भैंस की तुलना में गधी का दूध काफी बेहतर होता है। कोरोना महामारी के दौर में गधी के दूध की कीमत करीब सात हजार रुपए लीटर तक पहुंच गई थी। अन्य दूध की तुलना में गधी का दूध खट्टा होता है। 

 

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हालांकि, तमाम कोशिशों और जतन से रहने के बावजूद वह ज्यादा समय तक नहीं जी सकी। उसकी मृत्यु महज 39 साल की कम आयु में हो गई थी। वैसे, यह भी रहस्य ही बना हुआ है कि उसकी मौत कैसे हुई।

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कुछ इतिहासकारों का दावा है कि क्लियोपेट्रा को जहर दिया गया। वहीं, कुछ इतिहासकारों का मत है कि क्लियापेट्रा ने बहुत अधिक मादक पदार्थ का सेवन कर लिया। कुछ लोगों का यह भी दावा है सांप से कटवाकर उसने खुद आत्महत्या कर ली थी। 

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इस महारानी की सेवा में हजारों सेवक और सेविकाएं दिन रात तैनात रहते थे। उसके एक आदेश पर चाहे कितनी मुश्किल हो, कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सामान जुटा लिया जाता था। 

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