आज ही के दिन गिराया गया था बाबरी मस्जिद का विवादित ढ़ाचा, इस बार न यौम-ए-गम न ही शौर्य दिवस का आयोजन

अयोध्या ( Uttar Pradesh) । आज विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) विध्वंस की 28वीं बरसी है। हालांकि इस बार अयोध्या का माहौल बदला-बदला सा है, क्योंकि इस साल अयोध्या में न तो शौर्य दिवस न ही शोक कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे। लेकिन, सुरक्षा का कड़ा पहरा हर बार की तरह इस बार भी जरूर है। अयोध्या को जोड़ने वाले सभी रास्तों पर बैरियर लगाकर वहां चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा राम जन्मभूमि जाने वाले सभी मार्ग सील हैं। सिर्फ पैदल चलने वालों को दर्शन-पूजन करने की छूट है। बता दें कि स्पेशल कोर्ट द्वारा विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को बरी किया जा चुका है। इस बार प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए दोनों समुदाय को किसी भी तरह के कार्यक्रम करने अनुमति नहीं दी है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 6, 2020 6:52 AM IST / Updated: Dec 06 2020, 12:25 PM IST
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आज ही के दिन गिराया गया था बाबरी मस्जिद का विवादित ढ़ाचा, इस बार न यौम-ए-गम न ही शौर्य दिवस का आयोजन


6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा दिया था। अयोध्या की बाबरी मस्जिद को लेकर सैकड़ों साल से विवाद चला आ रहा था। भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 में आंदोलन शुरू किया था।
 

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पिछले साल तक हिंदू संगठन इस तारीख को शौर्य दिवस व मुस्लिम समुदाय यौमे गम का आयोजन करते थे। यौमे गम का कार्यक्रम अयोध्या के टेढ़ी बाजार मोहल्ले में हाजी महबूब के बंद अहाते में होते थे, वहीं मस्जिदों में नमाज के बाद बाबरी ढांचे के विध्वंस को लेकर गम का इजहार किया जाता था।
 

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मुस्लिम समुदाय के लोग अपने संस्थान बंद रख काली पट्टी बांध कर विरोध जताने थे तो हिंदू संगठन कारसेवक पुरम में विहिप के संयोजन में शौर्य दिवस का आयोजन करते थे।
 

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अयोध्या में हाई अलर्ट घोषित कर चेकिंग के साथ भारी पुलिस बल व कमांडो दस्ता तैनात है। सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही है। होटल धर्मशालाओं व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी तलाशी व जांच पुलिस की टीमें कर रही हैं।

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बता दें कि पिछले साल सर्वोच्च अदालत से राम जन्मभूमि और मस्जिद विवाद का पटाक्षेप होने के बाद 5 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए शिलापूजन किया था। वहीं सीबीआईI की स्पेशल कोर्ट ने विध्वंस मामले में कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किया जा चुका है। इस बार प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए दोनों समुदाय को किसी भी तरह के कार्यक्रम करने अनुमति नहीं दी है।

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