हाथरस केस में पीड़िता की मां की आपबीतीः DM कहते थे बेटी का चेहरा दिखाते तो 10 दिन खाना नहीं खा पाते

हाथरस (उत्तर प्रदेश). हाथरस गैंगरेप (hathras gangrape) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। हर तरफ से पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मांग उठ रही है। पूरे देश में जबरदस्त आक्रोश के बाद पुलिस प्रशासन ने तीसरे दिन पीड़ित परिवार को मीडिया से मिलने की अनुमति दी। जहां पीड़िता की मां ने अपना दर्द बयां करते हुए फफक-फफककर रो पड़ी। उन्होंने बताया कैसे उनको कैद करके रखा गया था। पढ़िए पीड़िता की मां की आपबीती...

Asianet News Hindi | Published : Oct 3, 2020 9:00 AM IST / Updated: Oct 03 2020, 03:08 PM IST

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हाथरस केस में पीड़िता की मां की आपबीतीः DM कहते थे बेटी का चेहरा दिखाते तो 10 दिन खाना नहीं खा पाते

पीड़िता की भाभी ने बताई यह बात
वहीं पीड़िता की भाभी ने कहा कि उस रात को उनकी ननद का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था, हमें नहीं पता पुलिस ने किसका शव जलाया है।  डीएम ने हमसे कहा-हमने तुम्हारी बच्ची का पोस्टमार्टम करवाया है। जानती क्या होता है पोस्टमार्टम, कभी देखा है। देख लेतीं तो 10 दिन तक खाना नहीं खा पाते। पूरी बॉडी को चीर-फाड़ करना पड़ता है। इतना पैसा, मकान और नौकरी सरकार दे रही है वही कभी मिल पाता। इसलिए चुप रहो।

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पीड़िता की भाभी ने बताई यह बात
वहीं पीड़िता की भाभी ने कहा कि उस रात को उनकी ननद का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था, हमें नहीं पता पुलिस ने किसका शव जलाया है।  डीएम ने हमसे कहा-हमने तुम्हारी बच्ची का पोस्टमार्टम करवाया है। जानती क्या होता है पोस्टमार्टम, कभी देखा है। देख लेतीं तो 10 दिन तक खाना नहीं खा पाते। पूरी बॉडी को चीर-फाड़ करना पड़ता है। इतना पैसा, मकान और नौकरी सरकार दे रही है वही कभी मिल पाता। इसलिए चुप रहो।
 

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बेटी का आखिरी बार चेहरा तक नहीं देख पाए
पीड़िता की मां बोलीं-यह कैसा शासन है हम अपनी ही बेटी को मिट्टी नहीं दे पाए। आखिरी बार भी उसका मुंह नहीं देख पाए। इतना सब हो जाने के बाद भी वह हमको डरा-धमका रहे हैं। किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट से जांच कराना चाहता है पीड़ित परिवार
अब सामने आया है कि मामले की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों के साथ ही पीड़ित परिवार के लोगों का भी नार्को टेस्ट करवाया जाएगा। हालांकि पीड़ित परिवार ने यह टेस्ट कराने से मना कर दिया है। मीडिया से बात करती हुई बच्ची की मां ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराना चाहते हैं। प्रदेश की पुलिस और प्रशासन को भरोसा नहीं है।

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