1954 में बना था अखाड़ा परिषद
13 प्रमुख अखाड़ों को मिलाकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बनती है। ये 13 अखाड़े चार संप्रदायों में बंटे हैं। इन 13 अखाड़ों में 7 संन्यासी और 3 बैरागी संप्रदाय के हैं। हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान 2019 में नरेंद्र गिरि को परिषद का दोबारा अध्यक्ष और महंत हरी गिरि को दोबारा महामंत्री बनाया गया था।
आदि शंकराचार्य के बनाए सभी अखाड़ों को एकजुट करने के लिए 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन किया गया था। साधु-संतों की इस सर्वोच्च परिषद में हर अखाड़े के महात्माओं का प्रतिनिधित्व होता है। परिषद में अध्यक्ष व महामंत्री का पद प्रभावशाली होता है। इस समय 13 अखाड़े ही हैं जिनकी मान्यता है। इनमें जूना, निरंजनी, महानिर्वाणी, अग्नि, अटल, आह्वान व आनंद संन्यासी अखाड़े माने जाते हैं। वैष्णव अर्थात वैरागियों के अखाड़े दिगंबर अनी, निर्वाणी अनी और निर्मोही अनी हैं, जबकि उदासीन के अखाड़ों में बड़ा उदासीन, नया उदासीन व निर्मल शामिल हैं।