अयोध्या से...जहां स्नान करने आती थी माता सीता, अब डरावना हो गया है वहां का हाल, पुजारी बोले- सब राम भरोसे

अयोध्या(Uttar Pradesh). अयोध्या में भव्य राम मंदिर की नींव पड़ने जा रही है। 5 अगस्त को खुद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का भूमि पूजन करने के लिए अयोध्या आ रहे हैं। पीएम मोदी के आगमन को लेकर अयोध्या में उत्साह है, वहीं इसके लिए तैयारियां भी जोरों पर हैं। अयोध्या में कई ऐसे स्थान भी हैं जिनका पौराणिक उल्लेख और महत्व है लेकिन वह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। अयोध्या में कमिगंज इलाके के पास ऐसा ही एक स्थान है सीताकुंड। कहा जाता है कि ये वही स्थान है जिसे राजा दशरथ ने सीता को स्नान करने के लिए बनवाया था। हांलाकि अब उसकी हालत इतनी जर्जर हो गई है कि वहां जाना भी मुश्किल है। एशियानेट न्यूज हिंदी ने सीताकुंड पर बने प्राचीन मंदिर के पुजारी दिनेश दास से बात किया।

Asianet News Hindi | Published : Aug 1, 2020 12:51 PM IST

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अयोध्या से...जहां स्नान करने आती थी माता सीता, अब डरावना हो गया है वहां का हाल, पुजारी बोले- सब राम भरोसे

राम जन्मभूमि के पीछे तकरीबन 2 किमी की दूरी पर स्थित है सीताकुंड। बताया जाता है कि ये वही स्थान है जिसे प्रभु श्री राम के विवाह के बाद राजा दशरथ ने अपनी बहू सीता के स्नान के लिए बनवाया था। आज भी यहां एक विशालकाय कुंड बना हुआ है. लेकिन उसकी हालत बेहद जर्जर और भयानक है।

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मंदिर के पुजारी दिनेश दास जी महराज ने बताया कि सीता कुंड बेहद प्राचीन और पौराणिक स्थान है। इसके बारे में रामायण से जुड़े कई प्राचीन ग्रन्थों में भी जिक्र किया गया है। यहां के बारे में कहा जाता है कि त्रेतायुग में माता सीता यहां स्नान करने आती थीं।

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पुजारी दिनेश दास ने बताया कि विवाह के बाद जब सीता जी अयोध्या आईं तो राजदरबार में विचार किया गया कि उनके निवास, रसोई व स्नान के लिए पवित्र स्थान का चयन किया जाए। इसके लिए उनके कुलगुरु ने के कहने पर उनके निवास के लिए सीता महल, रसोई के लिए सीता रसोई और स्नान के लिए सीता कुंड बनवाया गया था।
 

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पुजारी दिनेश दास ने बताया ऐसी मान्यता है कि महाबली हनुमान जी उनके साथ सुरक्षा में यहां आते थे। इसलिए इस कुंड पर राम सीता के साथ हनुमान जी का भी प्राचीन मंदिर बना हुआ है। यहां सावन मास में काफी भीड़ होती थे लेकिन इस बार कोरोना महामारी और सीता कुंड की जर्जर होती स्थिति के चलते भक्तों की भीड़ नहीं हुई।

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बैसाख शुक्ल पक्ष नवमी को यहां सीता जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पुजारी दिनेश दास ने बताया कि जन्मोत्सव के कार्यक्रम में पहले यहां हजारों की भीड़ होती थी। लेकिन ये कुंड जर्जर होता गया और धीरे-धीरे कर यहां लोगों का आगमन कम होता गया। आज इसकी दुर्दशा का आलम ये है कि यहां बड़ी बढ़ी झाड़ियां उग आई हैं। यहां लोग खड़े होने में भी डरते हैं।
 

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