34 सालों से वीरान है ये भूतिया शहर, जान जोखिम में डाल शख्स खींच लाया ये तस्वीरें
यूक्रेन: दुनिया में ऐसी कई कई जगहें हैं, जो किसी ख़ास कारण से मशहूर है। कोई अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है तो कोई किसी ख़ास घटना के कारण। यूक्रेन के प्रिप्यात शहर में कोई भी जाना नहीं चाहता। वजह? 34 साल पहले वहां हुए यूक्रेन से सबसे बड़े परमाणु हादसे के बाद शहर वीरान है। वहां आज भी रेडिएशन का भारी खतरा है। इस कारण ये शहर आज भी वीरान है। लोग इस शहर को भूतिया कहते हैं। लेकिन फोटोग्राफर डेविड मैकमिलन ने अभी तक इस शहर में 21 बार कदम रखा है। उन्होंने तस्वीरों के जरिए हादसे के 34 साल बाद वहां के हालात दुनिया के सामने रखे।
1986 में 26 अप्रैल को यूक्रेन के चेर्नोबल शहर ने न्यूक्लियर त्रासदी झेली थी। सुबह के वक्त चेर्नोबल परमाणु ऊर्जा प्लांट के चौथे संयंत्र में गड़बड़ी पैदा होने लगी थी।
स्थानीय समय 1 बजकर 16 मिनट पर संयंत्र के संचालकों ने पूरे संयंत्र को 20 सेकंड के लिए बंद करने वाली मशीन चालू कर दी। इसके ठीक सात सेकेंड बाद बिजली की एक ज़ोरदार धमाका हुआ और रासायनिक विस्फोट शुरू हो गए। ये विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि संयंत्र के ऊपर बनी 1000 टन की छत तक उड़ गई।
विस्फोट के चलते बड़ी मात्रा में रेडियोएक्टिव तेल और कण वातावरण में मिल गया, जिसमें जलने वाला ग्रेफाइट भी शामिल था। ग्रेफाइट के चलते रेडियोएक्टिव कणों का निकलना और तेज़ हो गया। इस दौरान रिएक्टर पर नियंत्रण करना मुश्किल हो गया था। ये हादसा सुरक्षा आपात कोर कूलिंग फीचर के परीक्षण के दौरान हुएा।
आपदा से निपटने के लिए रिएक्टर की इमारत के ऊपर फायरफाइट चक्कर लगा रहे थे और रेडिएशन को दबाने के लिए रेत की बोरियां फेंकी जा रही थीं, लेकिन इसे रोक पाना नामुमकिन हो रहा था।
इस आपदा को 34 साल गुजर गए हैं, लेकिन अब भी ये शहर वीरान पड़ा हुआ है।
करीब 50 हजार की आबादी वाला ये शहर विस्फोट से पहले मॉडर्न आर्किटेक्चर की मिसाल हुआ करता था। इसे विजन ऑफ फ्यूचर के तौर पर सरकार पेश करती थी।
हादसे के बाद आनन-फानन में इस शहर को खाली करवा दिया गया था। द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन ग्लोबलाइजेशन के मुताबिक, इस हादसे की वजह से करीब 9 लाख 85 हजार लोग कैंसर की चपेट में आ गए थे और उनकी मौत हो गई थी।
इन फोटोज को क्लिक करने के लिए रोलान्ड ने 1994 से अब तक 21 बार इस शहर के चक्कर लगाए हैं। तस्वीरों के जरिए उन्होंने इस शहर के आज का हाल दिखाया।
फोटोग्राफर ने दिखाया है कि इतने सालों बाद भी अब तक इस शहर में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस शहर की घड़ियां 11:55 पर रुकी हुई हैं। ये वो समय है, जब पूरे शहर की बिजली बंद कर दी गई थी।
चाहे स्कूल में बच्चों की किताबें हों या स्टोर में रखा सामान, सब कुछ अभी तक वैसे ही पड़ा हुआ है, जैसा शहर को खाली करते समय था।