सेकंड वर्ल्ड वॉर में सामने आया था पहला स्कूटर, देखिए 2021 तक स्कूटर की कहानी 'कभी खुशी-कभी गम'

स्पीड पकड़ती 21वीं सदी में स्कूटर की सवारी जैसे अतीत का हिस्सा बनती जा रही है। कुछ कंपनियों ने स्कूटर का निर्माण बंद कर दिया है, तो कुछ ने डिजाइन बदल दी। स्कूटर के चहेतों के लिए एक बुरी खबर आई है। भारत में लेम्ब्रेट्टा या लम्ब्रेट्टा और विजय सुपर जैसे लोकप्रिय स्कूटर बनाने वाली भारत सरकार की सावर्जनिक क्षेत्र की कंपनी स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड बंद होने वाली है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अगर स्कूटर के इतिहास की बात करें, तो सबसे पहला स्कूटर दूसरे विश्व युद्ध के दरमियान 1947 में सामने आया था। यह 20वीं सदी का में परिवहन का सबसे लोकप्रिय हिस्सा बना। आइए जानते हैं दुनिया में स्कूटर की कहानी...

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2021 9:31 AM IST / Updated: Jan 22 2021, 03:02 PM IST

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सेकंड वर्ल्ड वॉर में सामने आया था पहला स्कूटर, देखिए 2021 तक स्कूटर की कहानी 'कभी खुशी-कभी गम'

पहले बता दें कि लखनऊ स्थित कंपनी स्कूटर्स इंडिया की कहानी। कंपनी के मुख्यालय में करीब 100 कर्मचारी हैं। मैन्युफेक्चरिंग यूनिट अलग है। इसी कंपनी ने विजय सुपर और डीलक्स के अलावा लेम्ब्रेट्टा जैसे ब्रांड दिए। विजय सुपर के लिए फिल्म सितारों से लेकर क्रिकेटरों तक के विज्ञापन किए। इसका स्लोगन 'शान की सवारी' था। 1983 में जब कपिल देव की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीता, तो यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने सभी खिलाड़ियों को एक-एक विजय डीलक्स स्कूटर गिफ्ट में दिया था।

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20वीं सदी की सबसे शानदार सवारी
वेस्पा(Vespa) और लेम्ब्रेट्टा (Lambretta) का जनक इटली है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इन दोनों का निर्माण 1947 में यूरोप और अमेरिका दोनों जगह हुआ। सबसे पहला स्कूटर वेस्पा एनरिको पियाजियो (Enrico Piaggio)कंपनी लाई थी। इसके पहिये भारी थे, इसलिए यह उतना सक्सेस नहीं हुआ। इसका आकार वेस्प (wasp) यानी ततैया की तरह था। इसलिए इसका नाम वेस्पा पड़ा। 1950 में वेस्पा का निर्माण जर्मनी में हुआ। 1953 के बाद इसका निर्माण 13 देशों में होने लगा। यह आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और ईरान सहित 114 देशों को बेचा गया।

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भारत में लेम्ब्रेट्टा
1972 में भारत सरकार ने विक्रम नाम के लेम्बो थ्री व्हीलर का प्रोडक्शन शुरू किया। लेम्ब्रेट्टा स्कूटर का निर्माण फ्रांस में फेनविक (Fenwick), जर्मनी में एनएसयू (NSU), स्पेन में सेर्वेटा(Serveta), भारत में एपीआई(API), ताइवान में यूलोन(Yulon), ब्राजील में पास्को(Pasco), कोलंबिया में ऑटोको(Auteco) और अर्जेंटीना में सियाम्ब्रेटा(Siambretta) के लाइसेंस के अंतर्गत किया गया। एपीआई ने 1950 के दशक में इनोसेंट-बिल्ट (Innocenti-built) लेम्ब्रेट्टा स्कूटर बनाए। 1972 में स्कूटर इंडिया लिमिटेड ने इसका ट्रेडमार्क खरीदा।

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2016 में पियाजियो (Piaggio) ने इटली में इलेक्ट्रिक स्कूटर वेस्पा इलेट्रिका लांच किया। इसमें 4 किलोवाट की इलेक्ट्रिक मोटर थी। इसकी स्पीड थी 100 किमी/घंटा। यह पहला स्कूटर था, जिसकी ऑनलाइन बुकिंग शुरू हुई थी।

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भारत में पहली बार आयातित स्कूटर वेस्पा था। इसे बजाज ऑटो ने 1948 में  आयातित किया था। 1955 में भारत में स्कूटर का निर्माण शुरू हुआ। बता दें कि  1955 से 1960 तक सिर्फ एपीआई (API) की मोपेड (moped-मोटरसाइकिल) बनाती आ रही थी। इसके बाद मोपेड्स इंडिया लिमिटेड (1965), एसजेडयूएल ग्वालियर(1964) और पर्ल्स स्कूटर लिमिटेड (1962) ने मोपेड्स एरेना (mopeds arena) प्रोडक्ट लांच किया। 1972 में काइनेटिक इंजीनियरिंग लिमिटेड मोपेड-लूना ले आई। इसी ने देश को पहला गियरलेस स्कूटर दिया। 1980 में टीवीएस मोप्ड टीवीएस (moped TVS -50) बाजार में लाई।

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'बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर' और 'हमारा बजाज' जैसे स्लोगन से घर-घर में पहचान बनाने वाले चेतक का स्कूटर का प्रोडक्शन 2006 में बंद कर दिया था। यह 1972 में पहला बार लॉन्च हुआ था। हालांकि 14 साल बाद 2019 में यह फिर से नई टेक्नोलॉजी के साथ लौट आया था।

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