Shocking: हजारा समुदाय के खून का प्यासा हुआ तालिबान, फिर 13 लोगों की बेरहमी से हत्या, ISI-K अलग से दुश्मन

Published : Oct 05, 2021, 11:12 AM ISTUpdated : Oct 05, 2021, 11:14 AM IST

काबुल. 20 साल बाद Afghanistan से अमेरिका के सैन्य अभियान(military operation) के खात्मे के साथ ही तालिबान की क्रूरता की घटनाएं सामने आने लगी हैं। तालिबान ने दायकुंदी प्रांत में रहने वाले हजारा समुदाय पर जुल्म ढाना शुरू कर दिया है। वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल(Global human rights organization Amnesty International) ने एक रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि तालिबान हजारा समुदाय के नरसंहार पर उतर आया है। उसने हाल में इस समुदाय के 13 लोगों को मार डाला। इसमें एक 17 साल की लड़की भी थी। तालिबान के 300 लड़ाकों का एक काफिला 30 अगस्त को खिद्र जिले में गया था, यहां उसने अफगान नेशनल सिक्योरिटी फोर्स(ANSF) के 11 पूर्व सैनिकों को भी मार डाला था।  

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Shocking: हजारा समुदाय के खून का प्यासा हुआ तालिबान, फिर 13 लोगों की बेरहमी से हत्या, ISI-K अलग से दुश्मन

तालिबान के खौफ से हजारा समुदाय अपने घर-बार छोड़कर सुरक्षित जगहों पर भाग रहा है। तालिबान ने इससे पहले भी 1996 और 2001 में हजारा समुदाय पर जुल्म ढाए थे।

यह तस्वीर Panjshir Province के tweeter पेज से ली गई है। इसमें देखा जा सकता है कि हजारा समुदाय अपना घर-बार छोड़कर जा रहा है।

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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया गया हजारा समुदाय पर तालिबान और उसका कट्टर दुश्मन ISIS-K हमेशा से अत्याचार करता आ रहा है।

फोटो क्रेडिट- Panjshir Province का tweeter पेज

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एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलमार्ड(Agnes Callamard) ने कहा कि तालिबान को एक कुख्यात अपराधी करार दिया। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक में भी तालिबान ने बल्ख और बामियान प्रांतों में हजारा समुदाय का नरसंहार किया।

फोटो क्रेडिट- Panjshir Province का tweeter पेज

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हज़ारा (Hazara) मध्य अफगानिस्तान में बसने वाला और दरी फ़ारसी की हज़ारगी उपभाषा बोलने वाला एक समुदाय है। ये शिया इस्लाम के अनुयायी होते हैं। यह अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा समुदाय हैं। अफगानिस्तान की कुल आबादी का करीब 18% हिस्सा हैं।

फोटो क्रेडिट- Panjshir Province का tweeter पेज

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अफगानिस्तान से सटे ईरान और पाकिस्तान देशों में भी ये बड़ी संख्या में हैं। यह और बात है कि पाकिस्तान में यह अधिकतर शरणार्थी के रूप में जीवन गुजार रहे हैं। 

File Photo

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