काम न धंधा-कहां जाए बंदा: अफगानिस्तान में Taliban की सरकार बनने के बाद जीना मुश्किल, देखें कुछ PHOTOS

काबुल. अफगानिस्तान में Taliban की सरकार बनने के बाद अर्थव्यवस्था(Economy) जैसे धड़ाम-से गिर पड़ी है। लोगों के पास कोई काम नहीं है। यहां की करेंसी की वैल्यू रद्दी की तरह हो गई है। गुरुवार को G20 समूह की बैठक में चीनी स्टेट काउंसर और विदेश मंत्री वांग यी(Wang Yi) ने अफगानिस्तान के लिए तत्काल मानवीय सहायता की अपील की है। चीनी मीडिया Global Times के अनुसार, चीन चाहता है कि युद्धग्रस्त देश से सभी देशों को आर्थिक प्रतिबंध हटा देना चाहिए। वांग वीडियो लिंक के जरिये मीटिंग से जुड़े थे। चीन चाहता है कि G20 अफगानिस्तान में शांति और विकास में रचनात्मक भूमिका निभाए। बता दें कि 20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स के समूह को G20 कहते हैं। G20 के सदस्य हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ।

Asianet News Hindi | Published : Sep 24, 2021 5:16 AM IST / Updated: Sep 24 2021, 11:05 AM IST

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काम न धंधा-कहां जाए बंदा: अफगानिस्तान में Taliban की सरकार बनने के बाद जीना मुश्किल, देखें कुछ PHOTOS

यह तस्वीर अफगानिस्ता में तालिबान की हिंसा के बूते बनी सरकार के बाद लोगों की दुर्दशा को दिखाती है। लोगों के पास कोई काम नहीं है। इस तस्वीर में काबुल में काम के इंतजार में बैठे मजदूरों(Laborers) को दिखाया गया है।
Credit: AP Photo/Bernat Armangue

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अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद बाजारों में कोई रौनक नहीं है। लोगों के पास पैसा नहीं है। चीन ने अफगानिस्तान को Covid 19 वैक्सीन की 3 मिलियन डोज सहित 200 मिलियन यूआन($31 million) देने का ऐलान किया है।

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यह तस्वीर काबुल स्थित अज़ीज़ बैंक की है। इसे 21 सितंबर को खींचा गया था। तस्वीर में देख सकते हैं कि अपना पैसा निकालने के लिए लोगों को कैसे घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ रहा है। Photo:CFP

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इस तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा गया है कि तालिबान को सत्ता संभाले एक महीना हो गया है। काबुल में कोई और सड़क अपराध या डकैती नहीं है, चौकियां हैं, लोग खुश हैं और भ्रष्टाचार खत्म हो गया है। लेकिन लोग आर्थिक तंगी से परेशान हैं। नकदी संकट है (cash crisis) बड़ी चुनौती।

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एक्सरसाइज करते एक अफगानी की यह तस्वीर बहुत कुछ कहती है। लोगों के पास कोई संसाधन नहीं बचे हैं। एक्सरसाइज इक्विपमेंट(exercise equipment) के नाम पर लोग कैसे काम चला रह हैं, यह तस्वीर दिखाती है।

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शरणार्थी(refugee) समस्या के लिए अमेरिका और नाटो को जिम्मेदार बताता है। अफगानिस्तान के हालात इतने बुरे हैं कि लोगों को अपने घरों का सामान बेचकर पेट भरना पड़ रहा है।

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ये तस्वीर काबुल की करेंसी मार्केट(currency market) की है। तालिबान की सरकार बनने के बाद अफगानिस्तान से लोग दूसरे देशों में भाग रहे हैं। यहां की करेंसी का मूल्य मिट्टी के भाव हो गया है। यानी करेंसी बेकार हो चुकी है।

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लंबे समय तक चली खूनी संघर्ष के बाद अफगानिस्तान में बाजार तो खुल गए हैं, लेकिन ग्राहकी नहीं है। इसकी वजह देश में नकदी का बड़ा संकट है। दूसरा, काम-धंधा नहीं होने से लोगों के पास पैसों की कमी है।

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अफगानिस्तान में स्ट्रीट मार्केट काफी बड़ा है। छोटे-मोटे घरेलू सामान बेचकर अपनी घर-परिवार चलाने वाले दुकानदार इस समय काफी परेशान हैं। बिक्री न के बराबर है।

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